तमिलनाडु से शुरू हुई एकता यात्रा के आयोजक थे नरेंद्र मोदी, तिरंगे झंडे के पीछे थी रोचक स्टोरी, देखें खास तस्वीरें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Thanthi TV को दिए इंटरव्यू में कहा है कि तमिलनाडु के साथ उनका मजबूत संबंध लंबे समय से है। नरेंद्र मोदी एकता यात्रा के आयोजक थे।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों Thanthi TV को इंटरव्यू दिया। इस दौरान उन्होंने तमिलनाडु के साथ मजबूत संबंध को याद किया। उन्होंने एकता यात्रा को याद किया। दिसंबर 1991 में तमिलनाडु के कन्याकुमारी से एकता यात्रा की शुरुआत हुई थी। यात्रा के आयोजक नरेंद्र मोदी थे। यात्रा का नेतृत्व भाजपा अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने किया था। यात्रा की शुरुआत के समय कन्याकुमारी में हुए कार्यक्रम में लालकृष्ण आडवाणी भी मौजूद थे।

तिरंगे झंडे के पीछे थी रोचक स्टोरी

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एकता यात्रा में भाजपा नेता तिरंगे झंडे को लेकर कन्याकुमारी से चले थे। इसे 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर में फहराया गया था। यह झंडा महान स्वतंत्रता सेनानियों शहीद भगत सिंह और राजगुरु के भाइयों राजिंदर सिंह और देवकीनंदन ने कन्याकुमारी में मुरली मनोहर जोशी को दिया था। इस दौरान परमवीर चक्र विजेता कांस्टेबल अब्दुल हामिद के बेटे जुबैद अहमद और अली हसन भी मौजूद थे।

 

 

इंटरव्यू में पीएम ने तमिलनाडु को लेकर कही ये बातें

Thanthi TV को दिए इंटरव्यू में पीएम ने कहा, "वैसे करीब पांच दशक से मेरा तमिलनाडु आना-जाना रहा है। अलग-अलग रूप में आना-जाना रहा है। एक जिज्ञासु के रूप में देश भर में घूमता रहता था, तब भी आया। जब कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल बन रहा था तब उससे मेरा जुड़ाव हुआ। 1975 में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगायी थी। इमरजेंसी के दौरान मैं अंडरग्राउंड था। कुछ कोर्डिनेशन के काम के लिए मैं पूरे देश में जाता था। इस दौरान तमिलनाडु भी गया था। इमरजेंसी समाप्त होने के बाद हम लोगों ने तय किया था कि पूरे देश में इमरजेंसी के खिलाफ जो संघर्ष हुआ है और सामान्य नागरिकों ने जो संघर्ष किया है उसका सारा मैटेरियल कम्पाइलेशन होना चाहिए। उस सिलसिले में मैं देशभर में स्टेट हेड क्वार्टर पर जाता था। कभी इंटिरियर में जाता था। उस समय संघर्ष में जो लोग व्यस्त थे, उनसे मिलता था। उस समय उन्होंने कैसे संघर्ष किया, इसपर लिटरेचर इकठ्ठा करता था। इसके बाद मैं पार्टी संगठन के लिए रेगूलर आता-जाता रहता था। उसके बाद एकता यात्रा एक बहुत बड़ी महत्वपूर्ण बात थी। कन्याकुमारी से शुरू की थी हमने और श्रीनगर जा रहे थे। सपना लेकर निकले थे। उस समय श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा झंडा को जलाया जाता था।"

 

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