भारत के पहले स्वदेशी फास्ट ब्रीडर रिएक्टर प्रोजेक्ट को पीएम मोदी ने देखा, रिएक्टर वॉल्ट और कंट्रोल रूम में ली जानकारी

पीएफबीआर को एमएसएमई सहित 200 से अधिक भारतीय उद्योगों के महत्वपूर्ण योगदान के साथ भाविनी द्वारा पूरी तरह से स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है।

Dheerendra Gopal | Published : Mar 4, 2024 5:18 PM IST / Updated: Mar 05 2024, 12:46 AM IST

Indias First Indigenous Fast Breeder Reactor: भारत अपने तीन चरणों के न्यूक्लियर प्रोग्राम के दूसरे चरण में प्रवेश कर चुका है। न्यूक्लियर प्रोग्राम के सेकेंड स्टेज में तमिलनाडु के कलपक्कम में भारत के पहले स्वदेशी फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (500 मेगावाट) में कोर लोडिंग की शुरुआत का अवलोकन सोमवार को पीएम मोदी ने किया। पीएफबीआर को एमएसएमई सहित 200 से अधिक भारतीय उद्योगों के महत्वपूर्ण योगदान के साथ भाविनी द्वारा पूरी तरह से स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है। एक बार चालू होने के बाद भारत, रूस के बाद कमर्शियल रूप से फास्ट ब्रीडर रिएक्टर ऑपरेट करने वाला वाला दूसरा देश बन जाएगा।

कंट्रोल रूम और रिएक्टर वॉल्ट को देखा

कलपक्कम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रिएक्टर वॉल्ट और रिएक्टर का कंट्रोल रूम देखने गए। उन्हें इस रिएक्टर की मुख्य विशेषताओं के बारे में जानकारी दी गई।

भारत सरकार ने 2003 में दी थी मंजूरी

भारत के सबसे एडवांस परमाणु रिएक्टर-प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) की मैन्युफैक्चरिंग और ऑपरेशन के लिए भारत सरकार ने 2003 में भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (भाविनी) के निर्माण की मंजूरी दी थी। आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना के अनुरूप पीएफबीआर को एमएसएमई सहित 200 से अधिक भारतीय उद्योगों के महत्वपूर्ण योगदान के साथ भाविनी द्वारा पूरी तरह से स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है। एक बार चालू होने के बाद भारत रूस के बाद कमर्शियल रूप से फास्ट ब्रीडर रिएक्टर परिचालित करने वाला वाला दूसरा देश बन जाएगा।

यूरेनियम-प्लूटोनियम मिक्स ऑक्साइड का ईंधन के रूप में यूज

फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (एफबीआर) शुरू में यूरेनियम-प्लूटोनियम मिश्रित ऑक्साइड (एमओएक्स) ईंधन का उपयोग करेगा। ईंधन कोर के आसपास का यूरेनियम-238 ब्लैंकेट अधिक ईंधन का उत्पादन करने के लिए परमाणु रूपांतरण से गुजरेगा जिससे इसे 'ब्रीडर' नाम मिलेगा। इस चरण में ब्लैंकेट के रूप में थोरियम-232, जो अपने आप में एक विखंडनीय पदार्थ नहीं है, का उपयोग भी प्रस्तावित है। ट्रांसफार्मेशन द्वारा थोरियम विखंडनीय यूरेनियम-233 बनाएगा, जिसका उपयोग तीसरे चरण में ईंधन के रूप में किया जाएगा। कार्यक्रम के थर्ड स्टेज में कदम रखते ही भारत के भारत के प्रचुर थोरियम भंडार के पूर्ण उपयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा। सुरक्षा के संदर्भ में पीएफबीआर एक एडवांस थर्ड जनरेशन का रिएक्टर है। इसका सिक्योरिटी सिस्टम, इमरजेंसी में संयंत्र को तुरंत और सुरक्षित रूप से बंद करना सुनिश्चित करता है।

कोर लोडिंग पूरा होने के बाद बिजली उत्पादन

कोर लोडिंग के पूरा होने पर, अति-महत्वपूर्ण चरण (क्रिटिकलिटी) का पहला भाग हासिल कर लिया जाएगा जिससे बाद में बिजली का उत्पादन होगा। एडवांस तकनीक के उपयोग के बावजूद, पूंजीगत लागत और प्रति यूनिट बिजली लागत, दोनों ही अन्य परमाणु और पारंपरिक बिजली संयंत्रों की लागत की तुलना में बराबर हैं।

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