डाउन सिंड्रोम पीड़ित अन्वी ने योग की ताकत से बदला जीवन, मन की बात में PM मोदी ने लिया नाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' (Mann Ki Baat) में सूरत की अन्वी की चर्चा की। उन्होंने अन्वी और उसके योग को रिसर्च का विषय बताया है। अन्वी जन्म से डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है। योग की ताकत ने उसका जीवन बदल दिया है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 25, 2022 7:20 AM IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) में गुजरात के सूरत में रहने वाली अन्वी का नाम लिया। अन्वी जन्म से डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है। योग की ताकत से उसने अपना जीवन बदला है। आज लोग उसे रबल गर्ल के नाम से भी बुलाते हैं। अन्वी को 24 जनवरी 2022 को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिला था। 

अन्वी के पिता विजय जांजारुकिया ने बताया कि योग से अन्वी को नया जीवन मिला है। वह रोज सुबह एक घंटे और शाम को योग अभ्यास करती है। उसने 11 साल की उम्र से योग सीखना शुरू किया था। अन्वी ने 42 योग प्रतियोगिताओं में भाग लिया है। उसने राष्ट्रीय स्तर की योग प्रतियोगिता में तीन गोल्ड मेडल और दो ब्रॉन्ज मेडल जीता है। उसने कुल 51 पदक जीते हैं। अन्वी 112 से भी अधिक योगासन कर सकती है। 

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10 सितंबर को पीएम से हुई थी मुलाकात
अन्वी और उसके माता-पिता की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात 10 सितंबर को हुई थी। अन्वी ने पीएम के सामने योग किया था। अन्वी ने 24 जनवरी 2022 को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार जीता था। अन्वी के माता-पिता ने पीएम से मिलने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क किया था। प्रधानमंत्री कार्यालय से कनफर्मेशन कॉल आया तो वे हैरान हो गए थे। अन्वी के पिता विजय जांजारुकिया ने बताया था कि यह उनके परिवार के लिए सपने के सच होने जैसा था। प्रधानमंत्री ने अन्वी के प्रयासों की सराहना की थी और उसे भविष्य के लिए आशीर्वाद दिया था। 

अन्वी के लिए पीएम ने क्या कहा?
रविवार को 'मन की बात' में नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले गुजरात के सूरत की बिटिया अन्वी और उसके योग से मेरी मुलाकात हुई। अन्वी जन्म से ही डाउन सिन्ड्रोम से पीड़ित है। वह बचपन से ही दिल की गंभीर बीमारी से भी जूझती रही है। जब वो तीन महीने की थी तभी उसे ओपन हार्ट सर्जरी से गुजरना पड़ा। इन सब मुश्किलों के बावजूद अन्वी और उसके माता-पिता ने हार नहीं मानी। 

 

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अन्वी ने जिस तरह सीखने की इच्छाशक्ति दिखाई, अपनी प्रतिभा दिखाई, उससे उसके माता-पिता को भी बहुत हौसला मिला। उन्होंने अन्वी को योग सीखने के लिए प्रेरित किया। मुसीबत इतनी गंभीर थी कि अन्वी अपने पैरों पर खड़ी भी नहीं हो पाती थी। वो अपनी मां के साथ योग करने लगी और अब योग एक्सपर्ट हो चुकी है। अन्वी आज देशभर के कॉम्पटिशन में हिस्सा लेती है और मेडल जीतती  है। योग ने अन्वी को नया जीवन दे दिया। अब उसका सेल्फ-कॉन्फिडेंस गजब का हो गया है। अन्वी और उसके योग पर रिसर्च किया जा सकता है।

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