PM Modi आज हैदराबाद में 216 फुट की 'Statue of Equality' का अनावरण करेंगे, 120 किलो सोने से बना है गर्भगृह

पीएम नरेंद्र मोदी आज 11वीं सदी के समाज सुधारक और संत रामानुजाचार्य की प्रतिमा का अनावरण करेंगे, जिसे बैठने की स्थिति में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति के रूप में जाना जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 5, 2022 1:35 AM IST / Updated: Feb 05 2022, 07:27 AM IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) शनिवार को हैदराबाद में 11वीं सदी के समाज सुधारक और संत रामानुजाचार्य (Saint Ramanujacharya) की 216 फुट ऊंची प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ इक्वेलिटी (Statue of Equality) का अनावरण करेंगे। चिन्ना जीयर स्वामीजी के आश्रम द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, बैठने की स्थिति में यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति है। मूर्ति शहर के बाहरी इलाके में 45 एकड़ के परिसर में स्थित है।

मूर्ति बनाने में 1,000 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसके लिए विश्व स्तर पर भक्तों के दान से पैसे जुटाए गए। श्री रामानुजाचार्य का आंतरिक गर्भगृह 120 किलो सोने से बना है। इसे संत द्वारा पृथ्वी पर बिताए गए 120 वर्षों की स्मृति में बनाया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 13 फरवरी को आंतरिक गर्भगृह की रामानुज की स्वर्ण प्रतिमा का अनावरण करेंगे। 

चिन्ना जीयर स्वामी ने कहा कि हम मुख्य अतिथि, गणमान्य व्यक्तियों, भक्तों और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों सहित सभी का दिल से स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी के भव्य उद्घाटन के लिए स्वागत करते हैं। भगवद रामानुजाचार्य समानता के सच्चे प्रतीक बने रहे हैं। यह परियोजना सुनिश्चित करेगी कि उनकी शिक्षाओं को कम से कम 1,000 वर्षों तक अभ्यास किया जाए।

चिन्ना जीयर स्वामी ने कहा कि हमारा मिशन स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी को दुनिया भर के लोगों के लिए सांस्कृतिक रूप से सर्वोपरि स्थान बनाना है और सभी को दुनिया को रहने के लिए एक समान जगह बनाने के लिए प्रेरित करना है। आज दुनिया विभाजन और लोकलुभावनवाद से भरा है। श्री रामानुजाचार्य की विचारधारा समय की आवश्यकता है। 

पांच धातुओं से बनी है मूर्ति 
216 फीट की आउटडोर स्टेच्यू ऑफ इक्वेलिटी दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची (बैठने की मुद्रा में) प्रतिमा है। थाईलैंड में भगवान बुद्ध की मूर्ति को बैठे हुए दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति कहा जाता है। यह पांच धातुओं से बना है, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता शामिल हैं। परिसर को 108 दिव्य देशम्स के समान बनाया गया है। ये रहस्यवादी तमिल संतों के कार्यों में वर्णित 108 अलंकृत नक्काशीदार विष्णु मंदिर हैं। परियोजना की आधारशिला 2014 में रखी गई थी।

कौन थे संत रामानुजाचार्य?
संत रामानुजाचार्य का जन्म 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हुआ था। वह वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उन्होंने समानता और सामाजिक न्याय के प्रचार के लिए पूरे भारत की यात्रा की। उन्होंने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया था। अपने उपदेशों से रामानुजाचार्य ने लोगों में भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया। 

उन्होंने प्रकृति और उसके संसाधनों जैसे हवा, पानी और मिट्टी के संरक्षण की अपील की। रामानुजाचार्य ने नौ शास्त्रों को लिखा, जिन्हें नवरत्नों के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही उन्होंने वैदिक शास्त्रों पर कई टिप्पणियों की रचना भी की। रामानुजाचार्य ने पूरे भारत में मंदिरों में किए जाने वाले अनुष्ठानों के लिए सही प्रक्रियाओं को स्थापित किया था।

 

ये भी पढ़ें

UAE में पकड़ा गया Mumbai Blast का आरोपी अबु बक्र, दाऊद इब्राहिम का है करीबी

Uttar Pradesh में दो सड़क हादसों में 8 की मौत, ट्रक के नीचे कार दबने से तीन पुलिसकर्मी मारे गए

पेरू के Nazca lines के पास पर्यटक विमान दुर्घटनाग्रस्त, सात लोगों की मौत

Share this article
click me!