ममता के गढ़ में मोदी की हुंकार; कहा, कमीशन मिलता नहीं, क्यों लागू करेंगे केंद्र की योजनाएं, ईश्वर सदबुद्धि दें

बेलूर मठ में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने सभी को स्वामी विवेकानंद जयंती की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि बेलूर मठ आना मेरे लिए घर आना जैसा है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 12, 2020 4:07 AM IST / Updated: Feb 02 2022, 10:37 AM IST

कोलकाता. कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट की 150 वीं वर्षगांठ समारोह के उद्घाटन पर पीएम मोदी ने कहा," मां गंगा के सानिध्य में, गंगासागर के निकट, देश की जलशक्ति के इस ऐतिहासिक प्रतीक पर, इस समारोह का हिस्सा बनना सौभाग्य की बात है।

कोलकाता पोर्ट के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए आज सैकड़ों करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया गया है। आदिवासी बेटियों की शिक्षा और कौशल विकास के लिए हॉस्टल और स्किल डेवलपमेंट सेंटर का शिलान्यास हुआ है।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी हुआ पोर्ट का नाम

इस बंदरगाह (कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट) का नाम अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी के रूप में जाना जाएगा। बंगाल के सपूत, डॉक्टर मुखर्जी ने देश में औद्योगीकरण की नींव रखी थी। चितरंजन लोकोमोटिव फैक्ट्री, हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट फैक्ट्री, सिंदरी फर्टिलाइज़र कारखाना और दामोदर वैली कॉर्पोरेशन, ऐसे अनेक बड़ी परियोजनाओं के विकास में डॉक्टर मुखर्जी का बहुत योगदान रहा है।

मुखर्जी और अंबेडकर किया याद 

कोलकाता पोर्ट कार्यक्रम को सबोधित करते हुए कहा, आज के इस अवसर पर, मैं बाबा साहेब आंबेडकर को भी याद करता हूं, उन्हें नमन करता हूं। डॉक्टर मुखर्जी और बाबा साहेब, दोनों ने स्वतंत्रता के बाद के भारत के लिए नई नीतियां दी थीं, नया विजन दिया था। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य रहा कि डॉक्टर मुखर्जी और बाबा साहेब के सरकार से हटने के बाद, उनके सुझावों पर वैसा अमल नहीं किया गया, जैसा किया जाना चाहिए था। गुजरात के लोथल पोर्ट से लेकर कोलकाता पोर्ट तक देखें, तो भारत की लंबी कोस्ट लाइन से पूरी दुनिया में व्यापार-कारोबार होता था और सभ्यता, संस्कृति का प्रसार भी होता था।

नाम लिए बगैर ममता पर हमला 

पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस वर्ष हल्दिया में मल्टीमॉडल टर्मिनल और फरक्का में नेविगेशनल लॉक को तैयार करने का प्रयास है। साल 2021 तक गंगा में बड़े जहाज़ भी चल सकें, इसके लिए भी ज़रूरी गहराई बनाने का काम प्रगति पर है। पश्चिम बंगाल के विकास के लिए केंद्र सरकार की तरफ से हर संभव कोशिश की जा रही है। विशेष तौर पर गरीबों, दलितों, वंचितों, शोषितों और पिछड़ों के विकास के लिए समर्पित भाव से प्रयास किए जा रहे हैं । जैसे ही पश्चिम बंगाल राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना, पीएम किसान सम्मान निधि के लिए स्वीकृति देगी, यहां के लोगों को इन योजनाओं का भी लाभ मिलने लगेगा।

मठ में युवाओं को किया संबोधित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर कोलकाता में हैं। रविवार सुबह पीएम मोदी ने रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ में ध्यान लगाया। प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को कोलकाता पहुंचे थे और रात मठ में ही बिताई थी। बेलूर मठ में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने सभी को स्वामी विवेकानंद जयंती की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि बेलूर मठ आना मेरे लिए घर आना जैसा है।

क्या कहा पीएम मोदी ने 

-यहां आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं साधु-संतों के साथ यहां की सरकार का भी धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने मुझे इस पवित्र भूमि पर रात गुजारने के लिए अनुमति दी। 

-पिछली बार जब यहां आया था तो गुरुजी, स्वामी आत्मआस्थानंद जी के आशीर्वचन लेकर गया था। आज वो शारीरिक रूप से हमारे बीच विद्यमान नहीं हैं। लेकिन उनका काम, उनका दिखाया मार्ग, रामकृष्ण मिशन के रूप में सदा हमारा मार्ग प्रशस्त करता रहेगा। 

-कई बार लोगों को लगता है कि हम अकेले क्या कर सकते हैं? लेकिन गुरुजनों से जो मैंने सीखा है, वह मैं आपको बताना चाहता हूं कि हम कभी अकेले नहीं होते हैं। हमारे साथ हमेशा हमारा सृजनहार मौजूद होता है। 

-स्वामी विवेकानंद जी की वो बात हमें हमेशा याद रखनी होगी जब वो कहते थे कि 'अगर मुझे सौ ऊर्जावान युवा मिल जाएं, तो मैं भारत को बदल दूंगा।' यानी परिवर्तन के लिए हमारी ऊर्जा, कुछ करने का जोश ही आवश्यक है। 

-युवाओं के बीच इस कानून को लेकर फैले भ्रम को दूर करना हमारी जिम्मेदारी है। संशोधित नागरिकता कानून (CAA) नागरिकता लेने का नहीं बल्कि नागरिकता देने का कानून है।

-संशोधित नागरिकता कानून पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा- यह कानून रातों रात नहीं लाया गया। देश में इसको लेकर काफी चर्चा हुई, लेकिन इसको लेकर युवाओं में भ्रम फैलाया गया।

1987 में बना है मठ

हावड़ा जिले के बेलूर में स्थित इस मठ की स्थापना स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 में की थी। इस मठ को बनाने का उद्देश्य उन साधुओं और सन्यासियों को संगठित करना था जो रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं पर गहरी आस्था रखते थे। इन साधुओं और सन्यासियों का काम था कि वह रामकृष्ण परमहंस के उपदेशों को जनसाधारण तक पहुंचाए और गरीब, दुखी और कमजोर लोगों की नि:स्वार्थ भाग से सेवा कर सकें। इस मठ में स्वामी विवेकानंद और उनके गुरू रामकृष्ण परमहंस की स्मृति संजो कर रखी गई है।

Share this article
click me!