PNB घोटाले मामले पर नीरव मोदी को इंटरपोल की नकेल, भाई के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी

Published : Sep 13, 2019, 02:49 PM IST
PNB घोटाले मामले पर नीरव मोदी को इंटरपोल की नकेल, भाई के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी

सार

रेड कॉर्नर नोटिस इंटरपोल जारी करता है। इंटरपोल द्व्रारा इसे तब जारी किया जाता है जब कोई सदस्य देश उससे इसे किसी के खिलाफ जारी करने के लिए कहता है।

नई दिल्ली. इंटरपोल ने दो अरब डॉलर के पीएनबी घोटाला मामले में मुख्य आरोपी नीरव मोदी के भाई नेहल मोदी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि धन शोधन के आरोपों पर बेल्जियम के नागरिक नेहल (40) के खिलाफ वैश्विक गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। धन शोधन मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है। आरसीएन के अनुसार, नेहल दीपक मोदी का जन्म बेल्जियम के एंटवर्प में हुआ और वह अंग्रेजी, गुजराती तथा हिंदी भाषाएं जानता है।

सबूतों को नष्ट करने का आरोप है

ईडी ने इस मामले में दायर किए गए आरोपपत्र में नेहल को नामजद किया है और उस पर सबूतों को नष्ट करने का आरोप है। नीरव मोदी और उनके अंकल मेहुल चोकसी पर भारत की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी के मुख्य षड्यंत्रकारी होने का आरोप है। यह बैंक धोखाधड़ी पिछले साल सामने आई थी। आरोप है कि इस घोटाले में पंजाब नेशनल बैंक से करीब 13,000 करोड़ रुपये की ठगी की गई। ईडी ने आरोप लगाया कि पीएनबी घोटाले के सामने आने के बाद नेहल मोदी ने नीरव मोदी के करीबी विश्वासपात्र और कार्यकारी मिहिर आर भंसाली के साथ दुबई से 50 किलोग्राम सोना और अच्छी खासी नकदी ली और फर्जी निदेशकों से अधिकारियों के सामने उसका नाम न लेने के निर्देश दिए।

सीबीआई भी कर रही है मामले की जांच

नीरव मोदी लंदन में जेल में बंद है और भारत में अपने प्रत्यर्पण के मुकदमे का सामना कर रहा है। बताया जाता है कि चोकसी एंटीगुआ में है। इंटरपोल ने पहले धन शोधन मामले में नीरव मोदी, उसकी बहन पूर्वी मोदी और भंसाली के खिलाफ आरसीएन जारी किया था। सीबीआई भी बैंक धोखाधड़ी के इस मामले की जांच कर रही है।

इंटरपोल जारी करता है रेड कॉर्नर नोटिस

रेड कॉर्नर नोटिस इंटरपोल जारी करता है। इंटरपोल द्व्रारा इसे तब जारी किया जाता है जब कोई सदस्य देश उससे इसे किसी के खिलाफ जारी करने के लिए कहता है। रेड कॉर्नर नोटिस इंटरनेशनल अरेस्ट वॉरंट नहीं होता क्योंकि अरेस्ट वॉरंट जारी करने का हक संबंधित देश को है, लेकिन मोटे तौर पर इसे इंटरनेशनल यानी ग्लोबल अरेस्ट वॉरंट की तरह ही लिया जाता है।

नोट- यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।

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