रांची हिंसा में शामिल आरोपियों के पोस्टर झारखंड पुलिस ने रातों-रात क्यूं हटाया, सवाल उठा तो बताई ये वजह

झारखंड सरकार (Jharkhand Police) ने रांची हिंसा के आरोपियों के पोस्टर रातों-रात हटा दिए हैं। सरकार ने माना है कि पोस्टर (Poster) लगाने में कुछ तकनीकी खामियां हैं, जिन्हें दूर किया जाना है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 15, 2022 7:20 AM IST / Updated: Jun 15 2022, 12:55 PM IST

रांची. झारखंड के रांची में हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों में कथित रूप से शामिल लोगों की तस्वीरों वाले पोस्टर हटा लिए गए हैं। राजधानी रांची के विभिन्न हिस्सों में लगे इन पोस्टरों में सरकार ने तकनीकी गलतियां पाई हैं, जिसके बाद पोस्टर हटाने का निर्णय लिया गया है। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी सरकार के इस कदम का विरोध किया है। वहीं पुलिस ने कहा है कि गलतियों को ठीक करने के बाद पोस्टर फिर से चस्पा कर दिए जाएंगे। 
 
10 जून को हुई थी हिंसा
बीते 10 जून को रांची में हुए विरोध प्रदर्शन में कथित रूप से शामिल लगभग 30 लोगों की तस्वीरों वाले पोस्टर पुलिस ने जारी किए थे। हिंसा में दो लोगों की जान चली गई थी और दो दर्जन लोग घायल हो गए थे। राज्यपाल रमेश बैस ने राजभवन में डीजीपी नीरज सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया था। इसके एक दिन बाद यह कदम उठाया गया है। बैठक के दौरान सवाल उठाया गया कि पैगंबर मोहम्मद पर विवादास्पद टिप्पणियों के खिलाफ आंदोलन के दौरान भीड़ को तितर-बितर करने के लिए निवारक उपाय या कार्रवाई क्यों नहीं की गई। 

झारखंड पुलिस ने क्या कहा
वहीं झारखंड पुलिस के प्रवक्ता और आईजी ने कहा कि हमने हिंसा में शामिल लोगों की तस्वीरें जारी की थीं। उनकी पहचान के लिए जनता से मदद भी मांगा गया है। अधिकारियों ने बताया कि रांची जिला पुलिस ने कुछ तकनीकी खामियों के कारण पोस्टर हटा लिया है। लेकिन पोस्टरों को फिर से जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिंसा में शामिल करीब 30 लोगों की पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है। पुलिस ने बताया कि हिंसक प्रदर्शन के सिलसिले में अब तक 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सूत्रों ने कहा कि पोस्टर तकनीकी विशेषज्ञों और फोटो जर्नलिस्टों से व्यापक जानकारी के बाद जारी किए गए।

झामुमो ने जताई आपत्ति
इस बीच झामुमो ने पोस्टर जारी करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि पुलिस के पास पहले से ही प्रदर्शनकारियों के बारे में पर्याप्त जानकारी है। इस कदम से और अशांति पैदा हो सकती है। झारखंड पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई जल्दबाजी में हुई है। पार्टी का कहना है कि यह कदम सामाजिक विभाजन पैदा कर सकता है। हम पोस्टर पर आपत्ति करते हैं क्योंकि वे पूरी तरह से अनुचित है। झामुमो के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से लखनऊ में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से जुड़े कथित बर्बरता और आगजनी के मामलों में दर्ज लोगों के होर्डिंग हटाने के लिए भी कहा था। 

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