महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई, बीजेपी 'वेट एंड वाच' की नीति पर, कर रही यह प्रयोग

शिवसेना तय समय में समर्थन पत्र न दे पाने पर शिवसेना के हाथ से भी सत्ता की कुर्सी हाथ से फिसल गई। इस पूरे घटनाक्रम पर बीजेपी नेता सुधीर मुनगंतीवार ने कहा कि भाजपा राज्यपाल द्वारा दी गई समय-सीमा समाप्त होने के बाद राजनीतिक घटनाक्रम पर टिप्पणी करेगी।

Asianet News Hindi | Published : Nov 12, 2019 4:39 AM IST

मुंबई. महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर जारी शह-मात के खेल के बीच भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने राहत की सांस ली है। क्योंकि उनकी सहयोगी शिवसेना सोमवार को सरकार बनाने के लिए आवश्यक समर्थन पाने में नाकाम साबित हुई है। इन सब के बीच बीजेपी नेता सुधीर मुनगंतीवार ने कहा, ‘हम महाराष्ट्र में चल रहे घटनाक्रमों पर कड़ी नजर रख रहे हैं और हमने 'वेट एंड वाच' की नीति पर चलने का फैसला किया है।’

समय सीमा समाप्त होने पर बोलेगी बीजेपी 

राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने का न्योता मिलने के बाद बीजेपी ने बहुमत न होने का हवाला देते हुए सरकार बनाने से इंकार कर दिया। इसके बाद शिवसेना को सरकार बनाने का मौका मिला। लेकिन शिवसेना तय समय में समर्थन पत्र न दे पाने पर शिवसेना के हाथ से भी सत्ता की कुर्सी हाथ से फिसल गई। इस पूरे घटनाक्रम पर बीजेपी नेता सुधीर मुनगंतीवार ने कहा कि भाजपा राज्यपाल द्वारा दी गई समय-सीमा समाप्त होने के बाद राजनीतिक घटनाक्रम पर टिप्पणी करेगी। भाजपा ने सोमवार को अपने कोर ग्रुप की बैठक की। लगता है कि यह बैठक मुख्य रूप से राज्यपाल के साथ शिवसेना के नेताओं की बैठक के परिणाम पर विचार करने के लिए आयोजित की गई थी। उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने राकांपा को सरकार गठन के लिए अगले 24 घंटे का समय दिया है।

अब बारी एनसीपी की 

सोमवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को बहुमत संख्या साबित करने के लिए अधिक समय देने से इनकार कर दिया। जिसके तुरंत बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने का न्यौता दिया। उन्होंने सरकार बनाने के लिए शिवसेना को समर्थन जुटाने के लिए दी गई सोमवार शाम साढ़े सात बजे तक की समय-सीमा को आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया। इसके बाद राज्यपाल ने अब राकांपा को सरकार गठन के लिए अगले 24 घंटे का समय दिया है।  एनसीपी-कांग्रेस, भाजपा-शिवसेना के बाद दूसरा सबसे बड़ा चुनाव पूर्व गठबंधन था और इस गठबंधन के विधायकों की संख्या 98 है। उन्हें निश्चित रूप से राज्य में सरकार बनाने के लिए 56 विधायकों वाले शिवसेना के समर्थन की आवश्यकता होगी।

नहीं मिला ठोस आश्वासन

सोमवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के समर्थन के लिए सोनिया गांधी से फोन पर बात की, लेकिन उन्हे कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। कांग्रेस में एक वर्ग शिवसेना के नेतृत्व में सरकार को समर्थन देने के पक्ष में नहीं है क्योंकि विचारधारा के मामले में दोनों दल एक दूसरे के धुर विरोधी हैं। पार्टी के इस वर्ग का मानना है कि शिवसेना को समर्थन देने से कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं क्योंकि शिवसेना घोर दक्षिणपंथी पार्टी है। आपको बता दें कि शिवसेना भाजपा के बाद महाराष्ट्र के 288 सदस्यीय सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 56 विधायक हैं। भाजपा के 105 विधायक हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी 54 और और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। 

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