5000 शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी है ये लड़की, भाई की मौत ने जिंदगी बदल डाली

दिल्ली की पूजा शर्मा ने अपने भाई की मृत्यु के बाद अनाथ शवों का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया। उनके इस नेक काम में कई चुनौतियां आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

लगभग दो साल पहले की बात है. कुछ अजनबी लोग मेरे भाई से झगड़ रहे थे. मैं घर के अंदर थी. झगड़ा बढ़ता गया. उन्हें रोकने के लिए मैं दौड़ी. लेकिन तब तक गोलियों की बौछार शुरू हो चुकी थी. मैं कुछ समझ पाती, उससे पहले ही मेरे भाई के सीने में गोली लगी और वो गिर पड़े. सब लोग भाग गए. मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूँ. अंदर पापा थे. उन्हें ये सब पता चलता तो वो बर्दाश्त नहीं कर पाते, ये सोचकर मैं बिना देर किए भाई को अस्पताल ले गई. लेकिन डॉक्टर ने चेक करके बताया कि अब वो नहीं रहे. मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई. समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ. रोते हुए बैठी रहूँ तो घर कौन संभालेगा? पापा को पता चला तो क्या होगा? तमाम तरह के ख़याल मन में आ रहे थे. मैं भागती हुई घर पहुँची. लेकिन पापा को कैसे बताऊँ, समझ नहीं आ रहा था. मेरा चेहरा देखकर पापा ने पूछा कि क्या हुआ, लेकिन मैं कुछ नहीं बता पाई. लेकिन तभी पड़ोस वाले आ गए और उन्हें सब बता दिया. मुझे डर था कि कहीं ऐसा न हो, और वही हुआ. पापा बेहोश हो गए, उन्हें कोमा में चले गए... ये बताते हुए दिल्ली की पूजा शर्मा की आवाज़ भारी हो गई. पूजा कई सालों तक अप्पा सलाहगार के तौर पर काम कर चुकी हैं. 

 भाई के अंतिम संस्कार की ज़िम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई. पंडित जी को बुलाया. उन्होंने पूछा कि क्रिया कर्म कौन करेगा. उनका कहना था कि कोई आदमी तो होना चाहिए. लेकिन उस समय मैं कुछ सोच नहीं पाई. मैंने कहा कि मैं हूँ न, मैं ही अपने भाई का अंतिम संस्कार करूँगी. वहाँ मौजूद लोग मुझे देखते रह गए. लेकिन मैंने किसी की परवाह नहीं की. भाई की अंतिम यात्रा की सारी तैयारी की. अगले दिन जब मैं श्मशान घाट में अस्थि लेने गई तो वहाँ बहुत सारे लावारिस शव देखे. उनका अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था. मुझे लगा कि ये भी किसी के भाई-बहन, माँ-बाप होंगे. मेरे घर की स्थिति भी तो यही हो सकती थी. उसी पल मैंने फ़ैसला कर लिया. नौकरी छोड़ दी और अनाथ शवों का संस्कार करने का ही काम ठान लिया…. 

Latest Videos

 

मैंने पुलिस थानों और अस्पतालों से संपर्क किया. काउंसलिंग का काम छोड़ दिया. अपने आस-पास के हर श्मशान घाट में गई. वहाँ अगर कोई लावारिस शव मिलता तो उसका अंतिम संस्कार करती. इससे मुझे अजीब सी शांति मिलती. एक लड़की होने के नाते ये सब आसान नहीं था, और न ही है. लोग कहते हैं कि लड़कियों को ये सब नहीं करना चाहिए. लोग ताने मारते हैं कि शव जलाने वाली लड़की से कौन शादी करेगा. लेकिन मैं इन बातों पर ध्यान नहीं देती. जब मेरे पापा कोमा से बाहर आए और ठीक होने लगे तो उन्होंने कहा कि मैं तुम्हारे साथ हूँ. मुझे बस इतना ही काफी है, बाकी लोग क्या कहते हैं, मैं नहीं सुनती. परवाह नहीं करती. अनाथ शवों को मुक्ति दिलाकर मुझे जो सुकून मिलता है, वो मुझे कहीं और नहीं मिल सकता, पूजा शर्मा ने बताया. 

2 साल बीत चुके हैं और अब तक मैं लगभग 5000 शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी हूँ. आज भी जब मैं श्मशान घाट जाती हूँ तो खुद से सवाल करती हूँ कि आखिर ये कहाँ लिखा है कि औरतें ये सब नहीं कर सकतीं. जवाब नहीं मिलता. मुझे तो बस सुकून चाहिए, और वो मुझे मिल रहा है. मेरे पापा का आशीर्वाद मेरे साथ है, पूजा ने बताया. 

Share this article
click me!

Latest Videos

कानूनी प्रक्रिया: अमेरिकी न्याय विभाग से गिरफ्तारी का वारंट, अब अडानी केस में आगे क्या होगा?
Congress LIVE: राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी की ब्रीफिंग
Rescue Video: आफत में फंसे भालू के लिए देवदूत बने जवान, दिल को छू जाएगा यह वीडियो
UP By Election Exit Poll: उपचुनाव में कितनी सीटें जीत रहे अखिलेश यादव, कहां चला योगी का मैजिक
दिल्ली चुनाव से पहले केजरीवाल को कोर्ट से लगा झटका, कर दिया इनकार । Arvind Kejriwal । Delhi HC