कोरोना विनरः जब पाॅजिटिव हुआ तो मन में एक ही ख्याल आया...अस्पतालों में न बेड न ऑक्सीजन...अब क्या होगा?

मौतों की खबरें अंदर तक झकझोर रही, आत्मविश्वास को कम रही। कई ऐसे हैं जो कोरोना संक्रमित होने के बाद परेशान हो जा रहे हैं लेकिन आत्मविश्वास और संयम की हजारों ऐसी कहानियां हैं जिन्होंने मुश्किल हालात में भी जिंदगी को पा ली।

Dheerendra Gopal | Published : May 27, 2021 3:54 PM IST

नई दिल्ली। कोविड महामारी ने लाखों घरों की खुशियां छीन ली है। डर-मातम हर ओर पसरा हुआ है। हालांकि, कोविड से मरने वालों से कहीं अधिक संख्या उससे जीतने वालों की है। मौतों की खबरें अंदर तक झकझोर रही, आत्मविश्वास को कम रही। कई ऐसे हैं जो कोरोना संक्रमित होने के बाद परेशान हो जा रहे हैं लेकिन आत्मविश्वास और संयम की हजारों ऐसी कहानियां हैं जिन्होंने मुश्किल हालात में भी जिंदगी को पा ली। बस्ती के रहने वाले राकेश कुमार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। यूपी में जब हर ओर मौत तांडव मचाए हुए था, अस्पताल में बेड नहीं थे तो उसी बीच उनको भी पता चला कि वह भी संक्रमित हो चुके हैं। पहले तो डर से पूरा शरीर कांप उठा लेकिन खुद में आत्मविश्वास जगाया और कोविड के वायरस से जंग कर जीतने की ठानी।

Asianetnews Hindi के धीरेंद्र विक्रमादित्य गोपाल ने यूपी के बस्ती के रहने वाले राकेश कुमार से बात की है। कोरोना वायरस को उन्होंने कैसे हराया, इस पर उन्होंने विस्तृत बातचीत की है। 

हर ओर मौत का तांडव और अस्पताल में न बेड न ऑक्सीजन

कोरोना की दूसरी लहर से यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी। मौत तांडव मचा रही थी और स्वास्थ्य व्यवस्था सिसकती रही। आलम यह कि अस्पतालों में न बेड था न कोई इंतजाम। ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा था। इसी बीच एक दिन मुझे बुखार आया। सामान्य दवाई खाने पर भी बुखार नहीं उतरा तो थोड़ी घबराहट हुई। डरते-डरते जांच कराया। कई दिनों बाद रिपोर्ट आई तो जिसका डर था, वही हुआ। कोरोना का संक्रमण मुझे अपने चपेट में ले लिया था। घर में तो कोहराम मच गया। पत्नी, माताजी और दो बच्चे। हालांकि, बुखार आने के दूसरे दिन से ही सबसे दूरी बना ली थी। इसलिए थोड़ा निश्चिंत था। 

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तय किया घर पर ही आईसोलेट रहूंगा, अस्पताल जाने से डर लगता

संक्रमित होने की रिपोर्ट आने के बाद सबसे पहले खुद को आईसोलेट किया। अस्पताल की स्थितियां देखकर किसी भी सूरत में वहां जाने की सोचने पर ही घबराहट होने लगती थी। डाॅक्टर से संपर्क किया। डाॅक्टर की एडवाइज और दवाइयों को तत्काल शुरू कर दिया। इसी बीच घर में पत्नी को भी बुखार आने लगा। घबराहट और बढ़ गई। लेकिन पत्नी तीन दिनों की सामान्य दवाइयों से ही ठीक हो गईं। मैं कोविड के सारे प्रोटोकाल का पालन करते हुए दवाइयां लेना शुरू किया। साथ ही कुछ देसी नुस्खें जैसे काढा भी कभी कभार पीने लगा। 

 

पत्नी पर आ गई सारी जिम्मेदारी, बुजुर्ग मां भी हाथ बंटाने लगी

घर में बुजुर्ग मां हैं। उनको लेकर विशेष सावधानी बरतनी थी। बच्चे छोटे हैं उनको भी बचाना था। लेकिन सभी ने मिलजुलकर जिम्मेदारियां निभाई। पत्नी को कोई सामान या दवा लाने बाहर जाना पड़ता। हालांकि, उसने बहुत ही संयम के साथ सबकुछ संभाला। तीन दिनों तक खुद बुखार में रही और लेकिन मां के साथ मिलकर सबकुछ संभाल लिया। मां भी घर के अंदर इस विकट काल में पत्नी का हाथ बंटाती। बच्चे भी मदद करते। 

हेल्दी डाइट पर अधिक जोर दिया

डाॅक्टर ने जो भी दवाइयां दी थी उसे तो लेता ही रहा लेकिन उसके साथ खाने पर पूरा ध्यान दिया। समय से हेल्दी डाइट लेना शुरू किया। रोज एक अंडा भी खाता। पानी खूब पीना शुरू किया।

एक दिन थोड़ी परेशानी हुई लेकिन फिर...

आईसोलेशन के पांचवें दिन थोड़ी घबराहट होने लगी और लगा सांस लेने में तकलीफ हो रही है। लेकिन उस वक्त मैंने डरने की बजाय खुद को संयमित किया। कुछ देर ताजी हवा लिया। कुछ ही मिनट में आराम महसूस हुआ। डाॅक्टर को बताया तो उन्होंने एक दवा सजेस्ट किया। परेशानी बढ़ने पर ऑक्सीजन सपोर्ट की बात कही। हालांकि, इंतजाम कर लिया था लेकिन कोई जरूरत नहीं महसूस हुई। 

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दुबारा टेस्ट में नेगेटिव आया 

होम आईसोलेशन में रहते हुए दुबारा टेस्ट कराया। इस बार रिपोर्ट नेगेटिव आई। लेकिन मैं फिर भी कोविड प्रोटोकाल को पूरा किया। कुछ दिन अतिरिक्त आईसोलेशन में रहा। अभी भी मास्क का उपयोग करता हूं। 

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खुश रहें, नेगेटिव बातें न मन में लाएं, आत्मविश्वास बनाएं रखें

कोरोना से जंग जीतने के लिए सबसे अधिक आवश्यकता है आत्मविश्वास की। किसी बात से घबराए नहीं। मुझे शुरू में डर लगा था लेकिन खुद को संभाल लिया। परिवार मेरा सबसे बड़ा संबल बना। कभी भी मन में उल्टा-सीधा ख्याल नहीं आने दें। संगीत सुनें, फिल्म देखें लेकिन सोशल मीडिया के अनर्गल प्रलाप न सर्च करें। दवाइयों के प्रति लापरवाही न दिखाएं। डाॅक्टर की बातें सुनें, पालन करें। घर में अगर ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर आदि रखे हैं तो बार-बार उसका इस्तेमाल न करते रहें। यह परेशानी कम नहीं करेगा बढ़ा देगा। मन से बुरे ख्याल निकालकर, डाॅक्टर की बात मानते हुए आप किसी भी बीमारी को हरा सकते हैं। यही कोरोना से जीत का भी मंत्र है। 
 

Asianet News का विनम्र अनुरोधः आईए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं... जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona

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