Save Nature और Donate Blood थीम को लेकर साइकिल से की नॉर्थ-साउथ भारत की 11000 किमी की यात्रा

ब्लड डोनेशन और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने पश्चिम बंगाल के प्रसनजीत दास उर्फ जोजो ने साइकिल से उत्तर और दक्षिण भारत की 11000 किमी की यात्रा पूरी की है। इस यात्रा का विषय प्रकृति बचाओ और रक्तदान करो(Save Nature & Donate Blood) है।

विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश. प्रकृति को बचाने और रक्तदान के प्रति लोगों में जागरुकता लाने दुनियाभर में अलग-अलग ढंग से अभियान चलते रहते हैं। यही संदेश देने पश्चिम बंगाल के प्रसनजीत दास उर्फ जोजो ने साइकिल से साइकिल से की उत्तर और दक्षिण भारत की 11000 किमी की यात्रा पूरी की। इस यात्रा का विषय प्रकृति बचाओ और रक्तदान करो(Save Nature & Donate Blood) है। आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा(Vijayawada) पहुंचे जोजो ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा-''मैंने पूरे उत्तर और दक्षिण भारत को कवर करते हुए 11,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की है। मेरा सुझाव है कि लोग पेड़ लगाएं, पानी बचाएं और साल में दो बार रक्तदान करें।"

छोटा प्रयास लोगों में जागरुकता ला सकता है
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के रहने वाले प्रसनजीत दास देशभर में साइकिल यात्रा से भ्रमण कर लोगों को इस विषय पर जागरूक करते रहे। प्रसनजीत 25 अगस्त को इस अभियान को लेकर पश्चिम बंगाल से निकले थे। प्रसनजीत कहते हैं कि अगर उनके इस छोटे से प्रयास से ब्लड डोनेशन और पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों में जरा भी भावना पैदा होती है, यह बड़ी बात है। बता दें कि कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। पुरुष 3 महीने में एक बार रक्तदान कर सकते हैं, वहीं महिलाएं 4 महीने में रक्तदान कर सकती हैं। इससे हीमोग्लोबिन में कोई कमी नहीं आती। 

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एक शख्स ऐसा भी
हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित अरावली जैव विविधता पार्क(Biodiversity Park) को इंटरनेशनल संस्था OECMs  ने आधिकारिक मान्यता(recognition) दी है। यह किसी भी जैव विविधता पार्क के लिए गौरव की बात होती है। OECMs दुनियाभर में जैव विविधता को संरक्षित करने और उन्हें बढ़ाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में को प्रोत्साहित करती है। अरावली पर्वत की बंजर जमीन में 200 प्रकार पेड़-पौधे खड़े करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पारिस्थिति विज्ञान शास्त्री( ecologist) विजय धस्माना(Vijay Dhasmana) के मुताबिक आज अरावली Biodiversity Park 200 से अधिक पक्षियों का हेबिटेट हब(habitat-प्राकृतिक आवास) बन गया है। यहां पर लेपर्ड(तेंदुआ) तो नहीं है, पर कई तरह के जंगली जानवरों का वास हो चुका है। नील गाय हैं, Jackal (शियार), कबरबिज्जू हैं। यहां कई तरह के सांप हैं, कोबरा आदि। इनकी पॉपुलेशन बहुत अच्छी है। इस वन को 10-11 साल हो गए हैं। अब इसमें जो नए पौधे उग रहे हैं, वो जंगली पौधे हैं। वो एक सफलता है।

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