मोदी ने किया प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने का आह्वान-'भ्रम हो गया है कि बिना केमिकल फसल अच्छी नहीं होती'

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने 16 दिसंबर यानी आज कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन(Summit on Agro and Food Processing ) के समापन सत्र को संबोधित किया, जिसमें प्राकृतिक खेती की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गई। 
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 16, 2021 1:50 AM IST / Updated: Dec 16 2021, 01:11 PM IST

नई दिल्ली. किसानों को जीरो बजट पर प्राकृतिक खेती(natural farming) के लिए प्रेरित करने और उन्हें इसके तौर-तरीके सिखाने  गुजरात के आणंद में आयोजित कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन (Summit on Agro and Food Processing ) के समापन सत्र में 16 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने संबोधन  दिया। इसमें जिसमें प्राकृतिक खेती की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गई। इससे पहले PM मोदी ने tweet किया-मेरा आग्रह है कि कृषि और उसके स्टार्ट अप से जुड़े लोग इस राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का हिस्सा जरूर बनें। 

कृषि सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण दिन
मोदी ने कहा-खेती के अलग अलग आयाम हों, फूड प्रोसेसिंग हो, प्राकृतिक खेती हो ये विषय 21वीं सदी में भारतीय कृषि का कायकल्प करने में बहुत मदद करेंगे। इस कॉन्क्लेव के दौरान यहां हज़ारों करोड़ रुपये के समझौते पर भी चर्चा हुई है। कृषि सेक्टर, खेती-किसानी के लिए आज का दिवस बहुत ही महत्वपूर्ण है। मैंने देशभर के किसान भाइयों से आग्रह किया था कि प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय सम्मेलन से जरूर जुड़ें। आज करीब-करीब 8 करोड़ किसान देश के हर कोने से टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए हैं।

Latest Videos

एक भ्रम है
एक भ्रम ये भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी। जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है। पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी। मानवता के विकास का, इतिहास इसका साक्षी है। मैं आज देश के हर राज्य से, हर राज्य सरकार से ये आग्रह करूंगा कि वे प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने के लिए आगे आएं। इस अमृत महोत्सव में हर पंचायत का कम से कम एक गांव जरूर प्राकृतिक खेती से जुड़े।

किसानों की आय बढ़ाने पर मोदी ने कहा
बीते 6-7 साल में बीज से लेकर बाज़ार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक, पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी तक, सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक, अनेक कदम उठाए हैं। आजादी के बाद के दशकों में जिस तरह देश में खेती हुई, जिस दिशा में बढ़ी, वो हम सब हम सबने बहुत बारीकी से देखा है। अब आज़ादी के 100वें वर्ष तक का जो हमारा सफर है, वो नई आवश्यकताओं, नई चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का है।

80% किसानों को फायदा
मोदी ने कहा-प्राकृतिक खेती से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80% किसान। वो छोटे किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है। इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है। अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी। कृषि से जुड़े हमारे इस प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की ज़रूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी ज़रूरत है। इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना होगा।

गलतियों को भुलाना होगा
मोदी ने कहा-नया सीखने के साथ हमें उन गलतियों को भुलाना भी पड़ेगा जो खेती के तौर-तरीकों में आ गई है। जानकार ये बताते हैं कि खेत में आग लगाने से धरती अपनी उपजाऊ क्षमता खोती जाती है। कृषि से जुड़े हमारे प्राचीन ज्ञान  को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की जरूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब में तराशने की भी जरूरत है। इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में डालना होगा। चाहे कम सिंचाई वाली जमीन हो या फिर अधिक पानी वाली भूमि, प्राकृतिक खेती से किसान साल में कई फसलें ले सकता है। यही नहीं, जो गेहूं, धान, दाल या जो भी खेत से कचरा निकलता है, जो पराली निकलती है, उसका भी इसमें सद्उपयोग किया जाता है।

कम लागत ज्यादा मुनाफा
आज दुनिया जितना आधुनिक हो रही है, उतना ही ‘back to basic’ की ओर बढ़ रही है। इस Back to basic का मतलब क्या है? इसका मतलब है अपनी जड़ों से जुड़ना! इस बात को आप सब किसान साथियों से बेहतर कौन समझता है? हम जितना जड़ों को सींचते हैं, उतना ही पौधे का विकास होता है। इससे पहले खेती से जुड़ी समस्याएं भी विकराल हो जाएं उससे पहले बड़े कदम उठाने का ये सही समय है। हमें अपनी खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना ही होगा। बीज से लेकर मिट्टी तक सबका इलाज आप प्राकृतिक तरीके से कर सकते हैं। प्राकृतिक खेती खेती में न तो खाद पर खर्च करना है और ना ही कीटनाशक पर। इसमें सिंचाई की आवश्यकता भी कम होती है और बाढ़-सूखे से निपटने में ये सक्षम होती है।

हरित क्रांति पर कहा
ये सही है कि केमिकल और फर्टिलाइज़र ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है। लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा। खेती के साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन और सौर ऊर्जा, बायो फ्यूल जैसे आय के अनेक वैकल्पिक साधनों से किसानों को निरंतर जोड़ा जा रहा है। गांवों में भंडारण, कोल्ड चैन और फूड प्रोसेसिंग को बल देने के लिए लाखों करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

ttps://t.co/EcZBAzvLws

इन नेताओं ने कहा
आज़ादी के बाद GDP में कृषि के योगदान को सार्थक तरीके से बढ़ाने के रूप में पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने की थी। प्राकृतिक खेती पर आयोजित प्रथम राष्ट्रीय संगोष्ठी में सभी का स्वागत करता हूं। पूरे देश में प्राकृतिक खेती को किसान अपनाए इसके लिए PM मोदी ने मुहिम को गति देने का निश्चय किया है। देश के किसान इसे अपना रहे हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री  नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा-हम इतिहास में सुनते थे कि आगरा में ताजमहल का निर्माण करने वाले कारीगरों का हाथ काट दिया गया था लेकिन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण करने वाले कारीगरों का फूल बरसाकर स्वागत कर एक नए आयाम को इस देश में नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में दिया गया। गुजरात खेती और सिंचाई की दृष्टि से बहुत अच्छा प्रांत नहीं माना जाता था, यहां पीने के पानी की कमी भी बहुत थी। सरकारें तो बहुत आईं और गईं लेकिन नरेंद्र मोदी जी ने भागीरथ बनकर गुजरात में पानी को बढ़ाया और खेती को भी समृद्ध बनाने का काम किया।

सीधा प्रसारण देखा और सुना गया
इस सम्मेलन में 5000 किसान शामिल हुए। इसके अलावा राज्यों में आईसीएआर के 80 केन्‍द्रीय संस्थान, कृषि विज्ञान केन्‍द्र और एटीएमए नेटवर्क भी किसानों को प्राकृतिक खेती के अभ्यास और लाभों के बारे में जानने और इस कार्यक्रम को लाइव देखने के लिए जुड़े। इसके अतिरिक्त, देश भर के किसान और लोग https://pmindiawebcast.nic.inलिंक के जरिए सम्‍मेलन से जुड़े अथवा दूरदर्शन पर लाइव देखा। सरकार ने पिछले छह वर्षों के दौरान किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि को बदलने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं। प्रणाली की स्थिरता, लागत में कमी, बाजार पहुंच और किसानों को बेहतर प्राप्ति के लिए पहल को बढ़ावा देने और समर्थन देने के प्रयास चल रहे हैं।

शून्य बजट प्राकृतिक खेती के बारे में
शून्य बजट प्राकृतिक खेती को उत्‍पादन के एक भाग पर किसानों की निर्भरता को कम करने, पारंपरिक क्षेत्र आधारित प्रौद्योगिकियों पर भरोसा करके कृषि की लागत को कम करने के लिए एक आशाजनक उपकरण के रूप में पहचाना गया है जिससे मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह कृषि पद्धतियों को एकल-फसल से विविध बहु-फसल प्रणाली में स्थानांतरित करने पर जोर देता है। देसी गाय, उसका गोबर और मूत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिससे विभिन्न निविष्टियां जैसे बीजामृत, जीवामृत और घनजीवमृत खेत पर बनते हैं और अच्छे कृषि उत्पादन के लिए पोषक तत्वों और मिट्टी के जीवन का स्रोत हैं। अन्य पारंपरिक प्रथाएं जैसे कि बायोमास के साथ मिट्टी में गीली घास डालना या साल भर मिट्टी को हरित आवरण से ढक कर रखना, यहां तक ​​कि बहुत कम पानी की उपलब्धता की स्थिति में भी ऐसे कार्य किए जाते हैं जो पहले वर्ष अपनाने से निरंतर उत्पादकता सुनिश्चित करती हैं।

किसानों की राय भी ली जाएगी
नेचुरल फार्मिंग की रणनीतियों पर जोर देने और देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में किसानों को संदेश देने के लिए गुजरात सरकार ने यह राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें प्रख्यात वक्ताओं को प्राकृतिक खेती के विषय पर अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया। देश भर से 300 से अधिक प्रदर्शकों की प्रदर्शनी एक अतिरिक्त आकर्षक रही।

यह भी पढ़ें
Jal Jeevan Mission: जम्मू-कश्मीर में घर-घर पानी पहुंचाने का मिशन; सरकार ने दिए 604 करोड़ रुपए
India-China Faceoff के बीच गरजे राजनाथ सिंह, अब देश को हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल के विकास पर काम करना होगा
Dubai Expo 2020: कुशल श्रम शक्ति में दुनिया में अव्वल होगा भारत; केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने की विजिट

 

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

हरियाणा इलेक्शन 2024 के 20 VIP फेस, इनपर टिकी हैं देश की निगाहें
10 साल की बच्ची का किडनैप के बाद रेप-मर्डर, फिर दहल उठा ममता बनर्जी का पं. बंगाल
'हिम्मत कैसे हुई पूछने की' भरी अदालत में वकील पर क्यों भड़के CJI चंद्रचूड़
सामने आई Bigg Boss 18 के घर की PHOTOS, देखें कोने-कोने की झलक
हरियाणा चुनाव के10 अमीर प्रत्याशीः बिजनेसमैन सावित्री जिंदल से धनवान है यह कैंडीडेट