President Election 2022: तो क्या ममता बनर्जी विपक्ष को एकजुट करने में होंगी सफल...

President Election 2022 राष्ट्रपति का चुनाव अगले महीना होने वाला है। सत्तारूढ़ दल बीजेपी और विपक्ष दोनों अपना-अपना उम्मीदवार उतारने के लिए अभी से रणनीति तैयार करना शुरू कर दिए हैं। बीजेपी जहां जीत के लिए आवश्यक वोटों के जुगाड़ में लगी है वहीं, ममता बनर्जी-केसीआर जैसे क्षत्रप एक मजबूत प्रत्याशी देकर संयुक्त विपक्ष की एकजुटता के लिए प्रयासरत हैं।

President Election 2022: कुछ सप्ताह पहले तक ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच दिख रही दूरियां अब कम होती दिख रही है। विपक्ष को एकजुट करने में जुटी ममता बनर्जी का साथ देने के लिए कांग्रेस ने भी हामी भर दी है। अगले महीना होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष की रणनीति के लिए ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई मीटिंग में कांग्रेस ने शामिल होने की सहमति जता दी है। बुधवार को यह मीटिंग होनी तय है।

कांग्रेस की ओर से तीन सीनियर लीडर शिरकत करेंगे

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तृणमूल कांग्रेस नेता द्वारा बुलाई गई बैठक में वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सिंह सुरजेवाला कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करेंगे। सुश्री बनर्जी ने शनिवार को विपक्षी नेताओं को पत्र लिखकर बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया था। ममता बनर्जी, इस बार सत्ताधारी दल बीजेपी के खिलाफ मजबूत प्रत्याशी का विकल्प तलाश रही हैं। 

कांग्रेस और ममता के बीच कम हो रही दूरियां

कांग्रेस और ममता बनर्जी के बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव का एक लंबा इतिहास रहा है। करीब 25 साल पहले कांग्रेसी रहीं ममता बनर्जी ने खुद को पश्चिम बंगाल में केंद्रित करने के साथ टीएमसी पार्टी बनाकर तीन बार से सत्ता में हैं। वह राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत विपक्ष के लिए जुटी थीं लेकिन कांग्रेस को अलग कर विकल्प बना रही थीं। हालांकि, कल होने वाली मीटिंग में कांग्रेस को आमंत्रण भेजना व उसके द्वारा शिरकत करने के लिए सहमति देना, एक नए समीकरण के रूप में देखा जा रहा है।

शरद पवार के नाम को लेकर अटकलें

दो दिनों से विपक्ष के प्रत्याशी के रूप में मराठा क्षत्रप शरद पवार के नाम की खूब अटकलें लगाई जा रही हैं। यह संभावना जताई जा रही है कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के नाम पर आम सहमति बन सकती है। हालांकि, स्वयं शरद पवार ने खुद को रेस में शामिल नहीं होने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वह मीटिंग में जा रहे हैं लेकिन रेस में नहीं हैं। 

24 जुलाई को रामनाथ कोविंद का कार्यकाल हो रहा समाप्त

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। भारत के अगले राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को चुनाव होंगे और यदि आवश्यक हुआ तो तीन दिन बाद मतगणना होगी।

बीजेपी को अपना प्रत्याशी जिताने के लिए संख्याबल नहीं

भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के पास पक्की जीत के लिए संख्याबल नहीं है। 2017 में, भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), जगन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजद ने कांग्रेस के खिलाफ भाजपा के रामनाथ कोविंद के लिए समर्थन किया था। विपक्ष की उम्मीदवार के रूप में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार चुनाव मैदान में थीं। लेकिन, इस बार तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव बीजेपी के खिलाफ हैं। वह भाजपा के खिलाफ विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में विकल्प देने के लिए विपक्षी ताकतों को इकट्ठा करने में लगे हुए हैं। वह लगातार राज्यों के दिग्गज नेताओं से मिलकर एकजुटता के लिए प्रयासरत हैं। 

पचास प्रतिशत से अधिक वोट पाने वाले को मिलेगी जीत

राष्ट्रपति के चुनाव में निर्वाचक मंडल वोटिंग करता है, जिसमें विधायकों व सांसदों के वोट पड़ते हैं। प्रत्येक विधायक के वोट का मूल्य, राज्य की जनसंख्या व विधानसभा सीटों के आधार पर तय होता है। निर्वाचक मंडल की कुल संख्या 10,86,431 है। 50 प्रतिशत से अधिक मतों वाला उम्मीदवार जीत जाता है। एनडीए के पास 13,000 वोट कम है।

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