सार

Varun Gandhi thanks Owaisi वरुण गांधी हाल के दिनों में सरकारी पदों पर रिक्ति का मुद्दा उठाते रहे हैं। युवाओं का मुद्दा उठाते हुए वरुण गांधी ने कहा कि नौकरी के इच्छुक लोग हताश हैं और प्रशासनिक अक्षमता की कीमत चुका रहे हैं। 

नई दिल्ली। बीजेपी सांसद वरुण गांधी (BJP MP Varun Gandhi) ने एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) को धन्यवाद दिया है। यूपी के पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने ओवैसी को रोजगार के आंकड़ों का उल्लेख करने के लिए धन्यवाद दिया गया है जिसमें 60 लाख से अधिक स्वीकृत केंद्र और राज्य सरकार के खाली पदों (Vacant posts in Government departments) की जानकारी दी गई है। दरअसल, सांसद वरुण गांधी ने देश में लाखों सरकारी पदों के खाली होने की विभागवार जानकारी अपने ट्वीटर हैंडल पर शेयर करते हुए बेरोजगारी के रिकार्ड पर युवाओं की बात की है। वरुण गांधी द्वारा पेश किए गए आंकड़ों का ओवैसी ने अपनी भाषणों में जिक्र किया था।

क्या कहा वरुण गांधी ने? 

बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने कहा कि बेरोजगारी आज देश का सबसे ज्वलंत मुद्दा है और पूरे देश के नेताओं को इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहिए। बेरोजगार युवाओं को न्याय मिलना चाहिए, तभी देश शक्तिशाली बनेगा। मैं आभारी हूं कि रोजगार पर उठाए गए मेरे सवालों का उल्लेख ओवैसी जी ने अपने भाषण में किया था। वरुण गांधी ने ओवैसी के भाषण की एक वीडियो क्लिप के साथ हिंदी में ट्वीट भी किया है।

खाली पदों का डेटा वरुण गांधी ने किया है शेयर

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने मंत्रालयों और विभागों में रिक्त पदों की संख्या के विवरण के साथ एक ग्राफिक ट्वीट किया है। आंकड़ों को ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा है कि ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं जब बेरोजगारी 3 दशकों में अपने उच्चतम स्तर पर है। नौकरियों के न मिलने से जहां करोड़ों युवा हताश और निराश हैं, वहीं 'सरकारी आंकड़ों' की माने तो देश में 60 लाख 'स्वीकृत पद' खाली हैं। इन पदों के लिए आवंटित बजट कहां गया? हर युवा को यह जानने का अधिकार है।

बेरोजगारों का मुद्दा उठाकर वह बीजेपी को घेर रहे

वरुण गांधी हाल के दिनों में सरकारी पदों पर रिक्ति का मुद्दा उठाते रहे हैं। युवाओं का मुद्दा उठाते हुए वरुण गांधी ने कहा कि नौकरी के इच्छुक लोग हताश हैं और प्रशासनिक अक्षमता की कीमत चुका रहे हैं। दरअसल, वह अक्सर पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर और केंद्र पर सवाल उठाकर भाजपा को सार्वजनिक रूप से इन दिनों घेर रहे हैं। बीते दिनों भी उन्होंने खुले तौर पर निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के समर्थन में सामने आए थे, जबकि केंद्र में उनकी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार उनका बचाव कर रही थी। वह जन-केंद्रित मुद्दों पर स्टैंड लेते रहे हैं जो भाजपा की आधिकारिक स्थिति के अनुरूप नहीं हैं। तीन बार के लोकसभा सांसद को हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान अपनी पार्टी के लिए प्रचार करते नहीं देखा गया था।

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