'मन की बात' में पीएम मोदी ने लोगों से की अपील बोले- 'जब तक दवा नहीं आ जाती तब तक बरतें सावधानी'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) रविवार सुबह 11 बजे ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम की यह 69वीं कड़ी है। इससे पहले पीएम ने 30 अगस्त को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित किया था। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 27, 2020 3:21 AM IST / Updated: Sep 27 2020, 11:53 AM IST

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) रविवार सुबह 11 बजे ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम की यह 69वीं कड़ी है। इससे पहले पीएम ने 30 अगस्त को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित किया था, जिसमें किसानों, वोकल फॉर लोकल और भारत में निर्मित खिलौनो पर चर्चा की गई थी। यह कार्यक्रम आकाशवाणी, दूरदर्शन के समूचे नेटवर्क और नरेंद्र मोदी ऐप (Narendra Modi App) पर प्रसारित किया गया।

बड़े अपडेट्स

- प्रधानमंत्री ने देश के लोगों से कोरोना संक्रमण से बचने की अपील की। उन्होंने हर प्रकार के एहतियात बरतने की बात कही। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि 'जब तक दवा नहीं आ जाती तब तक कोई ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए।'

- पीएम मोदी ने मन की बात में सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा की और कहा कि 'सेना के जवानों ने भारत माता का गौरव बढ़ाया है। हमारे बहादुर सैनिकों का एक ही लक्ष्य था कि भारत मां के गौरव और सम्मान की रक्षा करना है।'

- महात्मा गांधी को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'गांधी जी के विचार आज ज्यादा प्रासंगिक हैं। 2 अक्टूबर हमारे लिए प्रेरक और पवित्र दिवस है।'

- पीएम मोदी ने शहीद भगत सिंह को याद करते हुए कहा, 'भगत सिंह का जज्बा हमारे दिलों में होना चाहिए। भगत सिंह का देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान है। शहीद वीर भगत सिंह को नमन करता हूं। उस 23 साल के युवक से अंग्रेजी हुकूमत डर गई थी।'

- प्रधानमंत्री ने कहा कि, 'हरियाणा के एक किसान भाई में मुझे बताया कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में दिक्कत आती थी, लेकिन 2014 में फल और सब्जियों को APMC Act से बाहर कर दिया गया, इसका उन्हें और आसपास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ।'

-पीएम मोदी ने लोगों से आग्रह किया कि 'लोग अपने परिवार के साथ हर सप्ताह कोई ना कोई कहानी सुनाए और ये सुनिश्चित करें कि परिवार का हर सदस्य हर सप्ताह कोई ना कोई कहानी सुनाए फिर वो चाहे पराक्रम की हो, घटना की हो। इससे आप लोगों की रिसर्च और भी अच्छी हो जाएगी। इससे नई ऊर्जा मिलेगी।'

-प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में कृषि के योगदान की  बात करते हुए कहा कि 'कोरोना संकट के काल में भी कृषि क्षेत्र ने अपना दमखम दिखाया है। देश के किसान, गांव जितना मजबूत होंगे, देश उतना आत्मनिर्भर होगा। किसान मजबूत होगा तो भारत आत्मनिर्भर बनेगा।' पीएम ने आगे कहा कि 'हमारे यहां कहा जाता है, जो जमीन से जितना जुड़ा होता है, वो बड़े से बड़े तूफानों में भी अडिग रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण हैं। आज किसानों को अपनी मर्जी से उपज बेचने की आजादी मिली है। बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है।'

- पीएम मोदी ने कहानियों का जिक्र करते हुए कहा कि तमिलनाडु और केरल में कहानी सुनाने की बहुत ही रोचक पद्धति है। इसे 'विल्लू पाट्' कहा जाता है। इसमें कहानी और संगीत का बुहत ही आकर्षक सामंजस्य दहोता है। भारत में कठपुतली की जीवंत परंपरा भी रही है। इन दिनों साइंस और साइंस फिक्सन से जुड़ी कहानियां एवं कहानी कहने की विधा लोकप्रिय हो रही है।

-प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं अपने जीवन में बहुत लंबे अरसे तक एक परिव्राजक के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गांव, नए लोग, नए परिवार। भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-कोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमारे यहां कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है।

- प्रधानमंत्री ने कहा, हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियां सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं। कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है।

- अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने की अपील की। 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि 'कोरोना के समय में दो गज की दूरी बनाए रखना जरूरी है।' प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। आज,जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवारों के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है। हमें, जरूर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने जो विधाएं बनाई थी, वो आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है।

 

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पिछले मन की बात कार्यक्रम के दौरान  किसानों की भी बात की थी। उन्होंने कहा था कि हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ताकत को साबित किया है। हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा हुई है। इस बार भी आसार हैं कि पीएम किसानों से कृषि से जुड़े बिलों पर बात कर सकते हैं। बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा संसद से पारित कृषि से जुड़े बिलों पर देशभर में कई किसान संगठन और विपक्षी दल विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

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