Target Killing: ISIS के नाम से शिया मुसलमानों को भी धमकियां, एक ने लिखा-हिंदुओं के बिना हमारी किस्मत खराब होगी

22 दिनों में 8 टारगेट किलिंग(Terrorism and Target Killing in Jammu and Kashmir) को अंजाम देकर आतंकवादी कश्मीर में फिर से 1990 जैसे हालात पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। गैर कश्मीरी घाटी छोड़कर निकलना चाह रहे हैं, लेकिन इस बार वे आतंकवाद का खुलकर विरोध भी कर रहे हैं। इस बीच एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की गई है, जिसमें शिया मुसलमानों को आतंकवादी संगठन ISIS से खतरा बताया गया है।

Amitabh Budholiya | Published : Jun 4, 2022 1:46 AM IST / Updated: Jun 04 2022, 07:30 AM IST

श्रीनगर. संभवत: यह पहली बार है, जब जम्मू-कश्मीर में टार्गेट किलिंग और आतंकवाद(Terrorism and Target Killing in Jammu and Kashmir) के खिलाफ इतने पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कश्मीरी पंडित घाटी छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जाना चाहते हैं, लेकिन इस बार वे आतंकवाद का खुलकर विरोध भी कर रहे हैं। पिछले कई दिनों से जम्मू-कश्मीर के विभिन्न इलाकों में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। इनमें गैर कश्मीरियों के अलावा स्कूली बच्चे तक शामिल हैं। बता दें कि 22 दिनों में 8 टारगेट किलिंग को अंजाम देकर आतंकवादियों ने घाटी में दहशत का माहौल पैदा किया है। 3 जून को 600 से अधिक कर्मचारियों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया। यह तस्वीर पॉलिटिशियन और लेखक जावेद बेग(Javed Beigh) ने tweet करके लिखा-कश्मीर के मेरे प्यारे 1.5 मिलियन शिया मुस्लिम भाइयों और बहनों, यह याद रखना ? यह 3 हफ्ते पहले की बात है। श्रीनगर में  ISIS द्वारा शिया मुस्लिम घरों की दीवारों पर लिखे गए "शिया काफिर" के नारे। हिंदुओं के बिना आपकी किस्मत पिछली बार से भी खराब होगी। बाहर आओ और विरोध करो! बता दें कि ISIS शिया मुसलमानों के खिलाफ है। घाटी में शिया भी अल्पसंख्यक हैं। हालांकि यह जांच का विषय है कि इसमें कितनी सच्चाई है।

 (फोटो-जम्मू में 3 जून को कश्मीर में हाल ही में आतंकवादियों द्वारा कर्मचारियों की हत्या के मद्देनजर जगती प्रवासी शिविर में एक कश्मीरी पंडित परिवार लौटा)

1990 जैसे हालात नहीं बनने दिए जाएंगे
जम्मू-कश्मीर में टार्गेट किलिंग( targeted killings)  बाद पहली बर गैर कश्मीरी घाटी छोड़कर जाने की बात कहने के बावजूद आतंकवाद के खिलाफ खुलकर विरोध करने आगे आए हैं। राज्य में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच केंद्रीय गृहमंत्रालय(Ministry of Home Affairs) ने 3 जून को दिल्ली में हाईलेवल मीटिंग करके स्प्ष्ट किया कि घाटी में 1990 जैसे हालात नहीं बनने दिए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में पैरा मिलिट्री फोर्स की 400 कंपनियां और तैनात की जाएंगी। बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अलावा NSA अजित डोभाल सहित कई बड़े अधिकारी मौजूद थे। हिंदू कर्मचारियों को सुरक्षित जगहों पर पोस्टिंग करने का निर्णय लिया गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस समय घाटी से पलायन करके जम्मू में कश्मीरी पंडितों के 43 हज़ार 618 परिवार रह रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर में 19 हज़ार 338 और देश के बाकी हिस्सों में कश्मीरी पंडितों के 1995 परिवार रह रहे हैं। 

(फोटो- 3 जून को कश्मीर में हाल ही में आतंकवादियों द्वारा कर्मचारियों की हत्या के मद्देनजर जगती प्रवासी शिविर में लौटते समय एक कश्मीरी पंडित परिवार)

स्कूली बच्चों ने किया विरोध
गैर कश्मीरियों पर हमलों के विरोध में स्कूलों की प्रार्थना-सभाओं के दौरान नारे गूंजने लगे हैं। स्कूली बच्चे और स्टाफ आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो सामने आए है, जिनमें स्कूली बच्चे और टीचर टार्गेट किलिंग के खिलाफ बोलते दिखे। गांदरबल के एक टीचर गुलज़ार अहमद भट, जो जम्मू-कश्मीर शिक्षक मंच (जेकेटीएफ) के जिला अध्यक्ष भी हैं, ने अपने एक वीडियो संदेश में कहा कि टीचर्स ग्रुप इन हत्याओं की कड़ी निंदा करते हैं। कई स्कूलों में स्टूडेंट्स पोस्टर लिए दिखे। उन पर लिखा था-निर्दोष लोगों की हत्या बंद करो।

मौलवियों ने भी आतंकवाद के खिलाफ उठाई आवाज
जुमे की नमाज के बाद मौलवियों ने अपने उपदेश में अल्पसंख्यक समुदायों की हत्या के खिलाफ आवाज उठाई और कहा कि कश्मीर के लोग ऐसी हत्याएं नहीं चाहते हैं। मौलवियों ने कहा, "इस्लाम इस तरह की हत्याओं की इजाजत नहीं देता है। हम निहित स्वार्थों का समर्थन नहीं करते हैं जो कश्मीर में धर्मनिरपेक्ष वातावरण को खराब करने के लिए तैयार हैं।"

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