48 एकड़ में लंगर,35KM तक रहने वालों का फ्री इलाज, जानें डेरा ब्यास के रोचक Facts

Published : Sep 02, 2024, 03:34 PM IST
radha swami satsang beas

सार

जसदीप सिंह गिल, राधा स्वामी सत्संग ब्यास सोसाइटी के संत सतगुरु के तौर पर बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों की जगह लेंगे। उनके पास नाम दीक्षा देने का अधिकार होगा। उन्होंने पीएचडी की है और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से मास्टर किया है।

नेशनल डेस्क : करीब 34 साल से डेरा राधा स्वामी के मुखी रहे गुरिंदर सिंह ढिल्लो (Gurinder Singh Dhillon) ने 45 साल के जसदीप सिंह गिल (Jasdeep Singh Gill) को अपना उत्तराधिकारी चुना है। वह आज यानी 2 सितंबर 2024 से ही गद्दी संभाल लेंगे। इसकी जानकारी सभी सेवादार इंचार्जों को लेटर भेजकर दे दी गई है। बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों को कैंसर और हार्ट की बीमारी है. वह राधा स्वामी ब्यास के 5वे प्रमुख थे। पंजाब (Punjab) के अमृतसर में स्थित डेरा ब्यास का काफी प्रभाव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से लेकर कई बड़े नेता यहां चुके हैं। जानिए इसके कुछ रोचक फैक्ट्स...

राधा स्वामी सत्संग ब्यास कब बना था

राधा स्वामी सत्संग ब्यास यानी डेरा ब्यास एक आध्यात्मिक केंद्र है, जो अमृतसर शहर से 43 किमी दूर ब्यास नदी के किनारे बना है। करीब 133 साल पहले 1891 में गुरु बाबा जैमल सिंह ने इसकी शुरुआत की थी। उनका मकसद इसे आध्यात्म का केंद्र बनाना था।

जसदीप सिंह गिल से पहले राधा स्वामी ब्यास के प्रमुख

बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लो राधा स्वामी ब्यास के पांचवे प्रमुख रहें। उनसे पहले बाबा जैमल सिंह (1891-1903), महाराज सावन सिंह (1903-1948), महाराज जगत सिंह (1948-1951), महाराज चरण सिंह (1951-1990) ने डेरा की कमान संभाली।

90 देशों तक डेरे का विस्तार

आज राधा स्वामी सत्संग ब्यास दुनिया के 90 देशों में है। इनमें USA, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान और अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं। इनके केंद्र पर श्रद्धालुओं को कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं।

राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरे के पास कितनी जमीन

रिपोर्ट्स के मुताबिक, राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरे के पास 4,000 एकड़ से भी ज्यादा जमीन है। जिसमें 48 एकड़ का तो सिर्फ लंगर हॉल है। डेरे में आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए सराय, गेस्ट होस्टल और शेड बनाए गए हैं। डेरे में लोगों का मुफ्त में इलाज भी होता है। यहां तीन अस्पताल बनवाए गए हैं। डेरे के चारों तरफ 35 किलोमीटर तक रहने वालों का इलाज यहां मुफ्त में किया जाता है।

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