
Punjab Uttarakhand Jammu Kashmir Flood Updates: अगस्त और सितंबर 2025 की शुरुआत में पंजाब, जम्मू और कश्मीर और उत्तराखंड में भारी बारिश और भूस्खलन से भारी तबाही मची है। इन तीनों राज्यों में अब तक 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ का सबसे ज्यादा असर मैदानी राज्य पंजाब में हुआ है, जहां 1655 गांव पानी में डूबे हैं। सरकार के मुताबिक, पंजाब में कुल 1,75,216 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है, जबकि 3,71,475 एकड़ खेती की जमीन पानी में डूबी हुई है।
पंजाब में भारी बारिश और बाढ़ ने अब तक 43 लोगों की जान ले ली है। राज्य सरकार के अनुसार, कुल मिलाकर लगभग 1655 गांव प्रभावित हुए हैं। इनमें गुरदासपुर जिले 324 गांव पूरी तरह पानी में डूबे हैं। इसके अलावा अमृतसर (190), कपूरथला (123), होशियारपुर (121), फिरोजपुर (111) और संगरूर (107) हैं। वहीं, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को पंजाब के गुरदासपुर में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने बताया कि राज्य के 1400 गांव बाढ़ के चलते बुरी तरह प्रभावित हैं और यहां हालात बेहद गंभीर हैं।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- केंद्र ने नुकसान का आकलन करने के लिए दो केंद्रीय दल भेजे हैं। राज्य सरकार भी आकलन करेगी। मैं प्रधानमंत्री के निर्देश पर यहां आया हूं। इस कठिन समय में हम पंजाब के किसानों और जनता के साथ मजबूती से खड़े हैं। बता दें कि पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद क्षेत्र के गांवों में सतलुज नदी का पानी लोगों के खेतों में घुसने से फसलें तबाह हो चुकी हैं। किसानों ने कहा कि फाजिल्का की जलालाबाद तहसील के दांडी कदम और ढाणी नत्था सिंह गांवों में सतलुज नदी का पानी खेतों में घुसने से लगभग 1500 एकड़ धान की फसल नष्ट हो गई।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से पेंडिंग बकाया राशि के अलावा अतिरिक्त आपदा राहत के रूप में ₹60,000 करोड़ तत्काल जारी करने का अनुरोध किया है। साथ ही फसल के नुकसान के लिए मुआवजे के मानदंडों में बदलाव कर इसे ₹50,000 प्रति एकड़ करने और बाढ़ में हुई मौतों के लिए अनुग्रह राशि को दोगुना करके ₹8 लाख प्रति व्यक्ति करने की मांग की है।
राज्य सरकार ने इस वर्ष मानसून (1 अप्रैल से 31 अगस्त) की शुरुआत से अब तक 79 लोगों की मौत, 115 के घायल होने और 90 लोगों के लापता होने की ऑफिशियल सूचना दी है। उत्तराखंड में बाढ़ और भू-स्खलन से 1944 करोड़ से ज्यादा के इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचा है, जिसके चलते केंद्रीय राहत निधि से पर्याप्त राहत राशि की मांग की गई है। भूस्खलन ने बार-बार लोगों की जान ली है, जिसमें 1 सितंबर को केदारनाथ मार्ग पर कम से कम 2 लोगों की मौत और 6 के घायल होने की घटना शामिल है। बाढ़ का सबसे ज्यादा असर चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और बागेश्वर जिलों में हुआ है। यहां मकान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और स्कूल तबाह हो गए हैं।
वहीं, उत्तराखंड सरकार ने केंद्र से औपचारिक रूप से ₹5,702 करोड़ के राहत पैकेज का अनुरोध किया है। यह धनराशि 2,800 से अधिक पक्के मकानों, स्कूलों, सड़कों, पशुधन और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान की भरपाई के साथ-साथ विस्थापित और प्रभावित परिवारों की सहायता करेगी।
जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को भारी बारिश और भू-स्खलन के चलते जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर पानी भर गया, जिससे देश के बाकी हिस्सों से घाटी का संपर्क पूरी तरह कट गया है। जम्मू के रामबन जिले में ही भारी बारिश के चलते 283 घर पूरी तरह तबाह हो गए। वहीं इस जिले से 950 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। कश्मीर के बांदीपोरा में वुलर झील का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर 1578 मीटर पर पहुंच गया है। वहीं, झेलम नदी का जलस्तर बढ़ने से आसपास के गांवों में खतरा मंडरा रहा है। राज्य में अब तक 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
जम्मू-कश्मीर ने नुकसान और मुआवजे को लेकर ब्योरा दिया है, जिसका विवरण केंद्रीय टीम के आकलन दौरे के दौरान पेश किया गया था। राज्य सरकार सड़कों, आवास, बिजली आपूर्ति और कृषि क्षेत्रों में व्यापक नुकसान के लिए सहायता मांग रही है। सेंटर की इंटर-मिनिस्ट्रियल टीम मुआवजे की रकम स्वीकृत करने से पहले प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नुकसान का आकलन करेगी। मुआवजे की रकम मुख्य रूप से राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) के अंतर्गत प्रदान की जाती है।
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