झारखंडः सबसे कम उम्र में इस महिला विधायक ने रचा इतिहास, UPSC की पढ़ाई छोड़ लड़ा चुनाव, अब बन सकती है मंत्री

जारीबाग के बड़कागांव विधानसभा सीट से जीत हासिल करने वाली कांग्रेस की 28 वर्षीय महिला उम्मीदवार अंबा प्रसाद ने जीत हासिल कर नया इतिहास रचा है। अंबा प्रसाद ने UPSC की पढ़ाई छोड़ कर राजनीति में कदम रखा और विधानसभा का चुनाव लड़ कर जीत हासिल की।

रांची. हालिया संपन्न हुए झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए हैं। जिसमें बीजेपी को करारा झटका लगा और झामूमो- कांग्रेस गठबंधन ने बाजी मार ली। इन सब के बीच जारीबाग के बड़कागांव विधानसभा सीट से जीत हासिल करने वाली कांग्रेस की 28 वर्षीय महिला उम्मीदवार अंबा प्रसाद चर्चा में है। यही नहीं उन्होंने झारखंड विधानसभा चुनाव में एक नया इतिहास भी रच दिया है। अंबा प्रसाद झारखंड विधानसभा चुनाव में एकमात्र ऐसी उम्मीदवार थीं जो अविवाहित हैं। अंबा प्रसाद झारखंड चुनाव 2019 में सबसे कम उम्र की विधायक बनने का इतिहास भी रचा है। अंबा प्रसाद ने आजसू के रोशनलाल चौधरी को 30,140 मतों से हराया है। 

UPSC की पढ़ाई छोड़ राजनीति में हासिल किया मुकाम

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बड़कागांव विधानसभा से इसके पूर्व अंबा प्रसाद के पिता योगेंद्र साहू 2009 में और मां निर्मला देवी ने 2014 में चुनाव जीता था। लेकिन, कफन सत्याग्रह के दौरान माता-पिता को जेल भेज दिया गया तो अंबा प्रसाद दिल्ली में UPSC की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर घर आ गईं। घर लौट कर अंबा प्रसाद ने हजारीबाग कोर्ट में ही वकालत शुरू कर दी और माता-पिता और भाई पर दर्ज मुकदमों को उन्होंने देखना शुरू कर दिया। जिसके बाद से अंबा प्रसाद चर्चा में बनी हुई थी। इन सब के बीच झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने टिकट देकर बड़कागांव की राजनीति की दिशा ही बदल दी। 
 
झारखंड की सबसे कम उम्र की मंत्री बन सकती हैं

अंबा प्रसाद कहती हैं कि अगर उनको मंत्री बनने का मौका मिलता है तो वो उस कुर्सी पर बैठ कर अच्छा काम करेंगी। उन्होंने कहा कि चार साल से मैं क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे लोग योगेंद्र साव और निर्मला देवी की बेटी के तौर पर याद करते हैं। मैं पिछले चार वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हूं। ऐसे में अंबा के बारे में कहा जा रहा कि वह हेमंत सोरेन सरकार में राज्य की शिक्षा मंत्री बन सकती हैं।
 
मां राज्यबदर है तो पिता जेल में हैं बंद 

बड़कागांव से कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाली अंबा प्रसाद के पिता योगेंद्र साव, मां निर्मला देवी और भाई पर अभी कफन सत्याग्रह को लेकर केस चल रहा है। इस समय पिता जेल में हैं तो मां राज्य बदर हैं। हाल ही में अंबा प्रसाद ने काफी संघर्ष के बाद भाई को तो जेल से छुड़ा लिया है, लेकिन पिता के लिए अभी भी संघर्ष कर रही हैं। बता दें कि अंबा प्रसाद ने चुनाव जीत कर अपने माता-पिता की राजनीतिक विरासत को बचा लिया है। अंबा कहती हैं कि उन्होंने कभी कभी सोचा भी नहीं था कि वे विधायक बनेंगी, लेकिन माता-पिता के जेल जाने और राज्य बदर होने के बाद उन्होंने शपथ ली थी कि बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में माता-पिता के अधूरे सपनों को वे पूरा करेंगी। 

ठीक से नहीं कर पा रही थी आईएएस की तैयारी 

एक इंटरव्यू के दौरान अंबा कहती हैं, 'मेरे पूरे परिवार को कफन सत्याग्रह आंदोलन में फंसाया गया। मैंने 2014 में बीआईटी से बीबीए किया था। मैं बिनोवा भावे विश्वविद्यालय से वकालत की डिग्री भी ले रखी है। मेरे पापा पर राजनीतिक आरोप लगे और उनको चुनाव से दूर रखने की साजिश रची गई। परिवार पर इस तरह के संकट आए तो मैं दिल्ली में आईएएस की तैयारी भी ठीक से नहीं कर पा रही थी. मैं वापस हजारीबाग आ गई और यहीं पर वकालत शुरू कर दी। बड़कागांव में जल-जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ी जा रही है। 

लोकसभा में मिलने वाला था टिकट

उन्होंने कहा कि पिता की रिहाई को लेकर मैं दिल्ली में राहुल गांधी से मिलीं। मैंने राहुल गांधी से आग्रह किया कि वह मुझे अच्छे वकील मुहैया कराएं। इस दौरान मैं कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंधवी और सलमान खुर्शीद जैसे लोगों से भी मिली। अहमद पटेल ने इस काम के लिए मेरी काफी मदद की। राहुल गांधी को जब मेरे पिता के बारे में पूरी जानकारी हो गई तो उन्होंने मुझे दिल्ली में कानूनी मदद उपलब्ध करवाई। साथ ही कहा कि कांग्रेस पार्टी के लिए काम करो। बाद में कांग्रेस पार्टी के और नेताओं का मुझको समर्थन मिला। बीते लोकसभा चुनाव में भी हजारीबाग लोकसभा सीट से मेरी उम्मीदवारी की बात भी चल रही थी, लेकिन अंतिम समय में मेरा नाम कट गया था। लेकिन, विधानसभा चुनाव में पार्टी ने मुझको बड़कागांव से उम्मीदवार बनाया। 

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