लोकसभा : राहुल गांधी बोले- ये किसानों का आंदोलन नहीं, यह देश का आंदोलन, वे सिर्फ टॉर्च दिखा रहे

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को बजट पर चर्चा में हिस्सा लिया। हालांकि, उन्होंने कहा कि वे इस दौरान बजट पर कुछ नहीं बोलेंगे। बल्कि वे सिर्फ किसानों की बात करेंगे। राहुल गांधी की अपील पर कांग्रेस सदस्यों ने किसान आंदोलन के दौरान मारे गए 200 किसानों को मौन रहकर सदन से श्रद्धांजलि भी दी। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 11, 2021 10:14 AM IST / Updated: Feb 11 2021, 06:17 PM IST

नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को बजट पर चर्चा में हिस्सा लिया। हालांकि, उन्होंने कहा कि वे इस दौरान बजट पर कुछ नहीं बोलेंगे। बल्कि वे सिर्फ किसानों की बात करेंगे। राहुल गांधी की अपील पर कांग्रेस सदस्यों ने किसान आंदोलन के दौरान मारे गए 200 किसानों को मौन रहकर सदन से श्रद्धांजलि भी दी। 

राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पीएम मोदी कह रहे हैं कि उन्होंने किसानों को विकल्प दिए। हां, उन्होंने 3 विकल्प दिए। पहला भूख, दूसरा बेरोजगारी और तीसरा आत्महत्या का। राहुल ने कहा, यह सिर्फ किसानों का आंदोलन नहीं है, यह पूरे देश का आंदोलन है। किसान सिर्फ देश को टॉर्च दिखा रहे हैं।

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यह हम दो हमारे दो की सरकार- राहुल
राहुल गांधी ने कहा, यह सरकार हम दो हमारे दो की सरकार है। इस दौरान कांग्रेस सांसदों ने अडाणी, अंबानी का नाम चिल्लाया। इस पर राहुल गांधी ने कहा, नाम सब लोग जानते है। इतना ही नहीं राहुल गांधी ने कहा कि इन तीन कृषि कानूनों का मतलब मंडियों को खत्म करना, जमाखोरी को बढ़ाना और किसानों को अदालत जाने से रोकना है। 

मैं आज कंटेंट पर बात करूंगा- पीएम
राहुल गांधी ने कहा, पीएम मोदी ने बुधवार को कहा था कि विपक्ष कानूनों के रंग रूप के बारे में बात कर रहा है। बल्कि कंटेंट और इंटेंट के बारे में बात नहीं हो रही। मैंने सोचा, मैं आज कंटेंट और इंटेंट पर बात करके उनको खुश कर दूं। राहुल ने कहा, पहले कानून का कंटेंट ये है कि देश में कहीं भी खाद्यान्न, फल ​​और सब्जियों की असीमित खरीद हो सकती है। अगर देश में कहीं भी खरीद असीमित होगी, तो मंडियों में कौन जाएगा? पहले कानून का कंटेंट मंडियों को खत्म करना है। 

राहुल ने कहा, पहले कानून का इरादा भारत में सभी फसलों का अधिकार एक दोस्त को देना है। वहीं, दूसरे कानून का इरादा दूसरे दोस्त की मदद करना है, जो भारत की फसलों का 40% स्टोर करता है। 

दूसरे कानून का कंटेंट है कि बड़े व्यापारी जितना चाहें, फल , सब्जी और अनाज स्टोर कर सकते हैं। इससे देश में जमाखोरी बढ़ेगी। तीसरे कानून का कंटेंट यह है कि जब कोई किसान अपनी फसलों का सही दाम मांगने के लिए भारत के सबसे बड़े व्यापारी के सामने जाए है, तो उसे कोर्ट में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

राजनाथ के जवाब पर भी राहुल ने साधा निशाना
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में एलएसी पर भारत और चीन विवाद की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत और चीन की सेनाओं ने पैंगोंग झील से पीछे हटने के लिए समझौता किया है। वहीं, इसे लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने पूछा कि सरकार हमारे जवानों के बलिदान का अपमान क्यों कर रही?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, वर्तमान स्थिति की कोई जानकारी नहीं, ना कोई शांति और शांतिपूर्ण माहौल। इसके अलावा राहुल गांधी ने पूछा कि सरकार हमारे बहादुर जवानों के बलिदान का अपमान क्यों कर रही है और हमारी जमीन क्यों जाने दे रही है। 


पैंगोंग झील से पीछे हट रहीं दोनों सेनाएं 
इससे पहले बुधवार को चीनी मीडिया ने चीन के रक्षा मंत्रालय के हवाले से बताया था कि भारत और चीन की सेनाएं पैंगोंग झील के दक्षिणी और उत्तर सिरे से पीछे हट रही हैं। दोनों देशों के बीच सेनाओं को पीछे हटाने को लेकर सहमति 9वें दौर की बातचीत में बनी। 

राजनाथ सिंह राज्यसभा में दी जानकारी
भारत-चीन ने तय किया है कि अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति को लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम अपनी एक इंच जगह भी किसी को नहीं लेने देंगे। पेंगोंग के नॉर्थ और साउथ बैंक को लेकर दोनों देशों में समझौता हुआ है और सेनाएं पीछे हटेंगी। चीन पैंगोंग के फिंगर 8 के बाद ही अपनी सेनाओं को रखेगा।

तीन सिद्धांतों पर बनी सहमति
राजनाथ सिंह ने कहा, "हम नियंत्रण रेखा पर एक शांतिपूर्ण स्थिति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत ने हमेशा द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने पर जोर दिया है। पिछले साल से हमने चीन के साथ सैन्य और राजनयिक स्तर पर संबंध बनाए रखे हैं। वार्ता के दौरान हमने चीन से कहा कि हम तीन सिद्धांतों पर आधारित मुद्दे का समाधान चाहते हैं। सबसे पहले, दोनों पक्षों को एलएसी पर सहमत होना चाहिए और इसका सम्मान करना चाहिए। दूसरे, किसी भी दल द्वारा एकतरफा स्थिति बदलने का प्रयास नहीं होना चाहिए। तीसरे, दोनों पक्षों द्वारा सभी समझौतों पर पूरी तरह से सहमति होनी चाहिए।"

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