राहुल गांधी के बयान पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, PMO ने कहा, उनकी मंशा गलत थी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुना दिया है। जिसमें कोर्ट ने राहुल को राहत देते हुए माफी नामा स्वीकार कर लिया है। राहुल गांधी के खिलाफ यह याचिका बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी की ओर से दायर की गई थी।

Asianet News Hindi | Published : Nov 14, 2019 4:48 AM IST / Updated: Nov 14 2019, 12:20 PM IST

नई दिल्ली. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुना दिया है। जिसमें कोर्ट ने राहुल को राहत देते हुए माफी नामा स्वीकार कर लिया है। राहुल गांधी के खिलाफ यह याचिका बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी की ओर से दायर की गई थी। इसके साथ ही कोर्ट ने राहुल गांधी को नसीहत भी दी है और तल्ख टिप्पणी भी की है। राहुल गांधी के खिलाफ यह याचिका बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी की ओर से दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए राफेल डील मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तोड़मरोड़ कर पेश किया, जिससे कोर्ट की अवमानना हुई है। नई दिल्ली से बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने अपनी चुनावी रैलियों में बार-बार कहा है, 'अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है'. लेखी ने कहा था कि राहुल गांधी ने कोर्ट के सहारे पीएम मोदी के खिलाफ गलत बयानबाजी की थी और आरोप लगाया था। राहुल गांधी का यह बयान राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया था। 

पीएमओ ने कहा, मंशा गलत थी 

राहुल गांधी के चौकीदार चोर है के नारे पर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुना दिया है। जिस पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने रिएक्शन जाहिर करते हुए कहा कि राहुल गांधी की मंशा गलत थी। पीएमओ ने कहा कि राहुल गांधी के सभी आरोप निराधार थे। 

राहुल ने मांगी था माफी 

बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने अपनी याचिका में कहा था कि राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के बयानों को राजनीति से जोड़ा है। हालांकि इस मामले में राहुल गांधी ने बिना शर्त माफीनामा भी दाखिल किया था, लेकिन अदालत ने तब उन्हें कोई राहत नहीं दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि कोर्ट की ओर से ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया है। साथ ही चीफ जस्टिस की बेंच ने साफ कर दिया था कि कोर्ट ऐसी टिप्पणी कर ही नहीं सकता है।

राहुल गांधी के माफी का किया था विरोध 

सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी थी। वहीं, मीनाक्षी लेखी की तरफ से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दलील पेश की थी। उन्होंने कोर्ट से राहुल गांधी के माफीनामा को खारिज करने और कार्रवाई करने की मांग की थी। सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि कोर्ट से दो बार डांट खाने के बाद राहुल गांधी ने तीसरा हलफनामा दाखिल कर अपने बयान पर कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है। रोहतगी ने कहा था कि राहुल गांधी ने बहुत देर से माफी मांगी है और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसले के मुताबिक देर से मांगी गई माफी स्वीकार नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा था कि वो राहुल गांधी की माफी का विरोध करते हैं। सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ कार्रवाई करे और उन्हें सजा दे। रोहतगी ने कहा था कि राहुल गांधी को जेल भेजा जाए या निंदा या पेनाल्टी की सजा दी जाए या फिर राहुल गांधी को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का आदेश दिया जाए। 

कोर्ट ने फैसला रखा है सुनिश्चित 

वहीं, राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि राहुल गांधी ने शुरू में ही पहले हलफनामे में अपनी गलती मान ली थी और कोर्ट से खेद भी जताया था। ऐसा उन्होंने कोर्ट से अवमानना नोटिस जारी होने के पहले ही कर दिया था। सिंघवी ने कहा राहुल गांधी ने माफी मांगने या गलती मानने में कोई देरी नहीं की है और कोर्ट उनका हलफनामा स्वीकार करके उनके खिलाफ अवमानना मामला बंद कर दे। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दलीलें सुनने के बाद राहुल गांधी के खिलाफ दाखिल मीनाक्षी लेखी अवमानना याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाने जा रहा है। आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने राफेल डील को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमला बोला था। उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा थी कि चौकीदार चोर है। 

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