सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, लिंग के आधार पर मंदिर में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता

सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने 4-1 से फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि लिंग के आधार पर किसी को मंदिर में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ पीठ की इकलौती महिला सदस्य जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने बहुमत के फैसले का विरोध किया था।  

नई दिल्ली. सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट फैसला देने वाला है। दरअसल 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत सुप्रीम कोर्ट ने दी थी, लेकिन इसी फैसले पर 65 पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसपर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा कर रहे हैं। सबरीमाला मंदिर केरल के पठानमथिट्टा जिले में पेरियार टाइगर रिजर्व में है। 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने 4-1 से फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि लिंग के आधार पर किसी को मंदिर में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ पीठ की इकलौती महिला सदस्य जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने बहुमत के फैसले का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि धार्मिक मान्यताओं में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। हिंदू परंपरा में हर मंदिर के अपने नियम होते हैं।

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10 हजार जवान तैनात
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सबरीमाला की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। करीब 10 हजार जवानों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही 16 नवंबर से मंडलम मकर विलक्कू उत्सव शुरू हो रहा है। दो महीने तक चलने वाले इस वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए पांच स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

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