राहुल गांधी बोले- सरकार जल्द गरीबों के खातों में 7500 रुपए डाले, भले ही योजना का नाम कुछ भी रख ले

Published : May 08, 2020, 12:22 PM ISTUpdated : May 08, 2020, 02:03 PM IST
राहुल गांधी बोले- सरकार जल्द गरीबों के खातों में 7500 रुपए डाले, भले ही योजना का नाम कुछ भी रख ले

सार

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कोरोना वायरस को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा, जो लोग लॉकडाउन से जूझ रहे हैं, हम उनकी मदद किए बिना लॉकडाउन को जारी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, मैं केंद्र सरकार से अपील करता हूं कि वह राज्य सरकारों और जिलाधिकारियों को स्वतंत्र तौर पर फैसला करने की अनुमति दे।  

नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कोरोना वायरस को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा, जो लोग लॉकडाउन से जूझ रहे हैं, हम उनकी मदद किए बिना लॉकडाउन को जारी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, मैं केंद्र सरकार से अपील करता हूं कि वह राज्य सरकारों और जिलाधिकारियों को स्वतंत्र तौर पर फैसला करने की अनुमति दे। उन्होंने कहा, अगर हम कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई को प्रधानमंत्री दफ्तर तक रखेंगे तो हम इसे हार जाएंगे। 

राहुल ने कहा, यह वक्त समय गंवाने का नहीं है। बल्कि अर्थव्यवस्था को शुरू करने का है। उन्होंने कहा, कोई भी उद्योगपति आपको बता सकता है कि रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन में किस तरह से उसे मुश्किलें हो रही हैं। इन्हें जल्द हटाने की जरूरत है। 

यह वक्त सरकार की आलोचना करने का नहीं
राहुल ने कहा, यह वक्त सरकार की आलोचना करने नहीं है। लेकिन अब सरकार को लॉकडाउन हटाने का फैसला करना चाहिए। इसके अलावा हर परिवार को 7500 रुपए की राशि तुरंत देनी चाहिए। उन्होंने कहा, सरकार को 50% आबादी यानी गरीब परिवारों को 7500 रुपए की आर्थिक मदद दे। भले ही सरकार इस योजना का नाम न्याय या पीएम योजना क्यों ना रख ले।  

बड़े उद्योगों को सुरक्षा दे सरकार- राहुल
राहुल गांधी ने कहा कि सूक्ष्म लघु मध्यम उद्योग को क्रेडिट सुरक्षा योजना, छह महीने की ब्याज सब्सिडी देने की जरूरत है। इसके अलावा बड़े उद्योगों को भी सुरक्षा देने की आवश्यकता है। 

घरेलू खपत भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा
राहुल गांधी ने कहा, भारत में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए घरेलू खपत शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, घरेलू खपत ही अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है। 

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