कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने लोकसभा में भाषण दिया। उन्होंने कहा कि खुद को हिंदू करने वाले लोग हिंसा करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बयान के लिए उन्हें टोका।
नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने हिंदू समाज को हिंसा से जोड़कर ऐसी बात कही कि बवाल मच गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बीच में खड़ा होना पड़ गया।
राहुल गांधी ने कहा, "हिन्दुस्तान के इतिहास में तीन आधारभूत विचार हैं। मोदी जी ने अपने भाषण में एक दिन कहा कि हिन्दुस्तान ने किसी पर आक्रमण नहीं किया। उसका कारण है। क्योंकि ये देश अहिंसा का देश है। ये देश डर का देश नहीं है। हमारे सारे महापुरुषों ने अहिंसा की बात की। डर मिटाने की बात की। डरो मत, डराओ मत। दूसरी तरफ शिवजी कहते हैं डरो मत, डराओ मत, अभय मुद्रा दिखाते हैं। अहिंसा की बात करते हैं। त्रिशूल को जमीन में गाड़ देते हैं।"
जो लोग अपने आप को हिंदू कहते हैं हिंसा-हिंसा करते हैं: राहुल
विपक्ष के नेता ने कहा, "और जो लोग अपने आप को हिंदू कहते हैं वो 24 घंटा हिंसा, हिंसा, हिंसा। नफरत, नफरत, नफरत। असत्य, असत्य, असत्य। आप हिंदू हो ही नहीं।" राहुल गांधी के इतना कहने पर सत्ता पक्ष के सांसद विरोध में खड़े हो गए और आपत्ति जताने लगे। इसके बाद राहुल गांधी ने कहा, "हिंदू धर्म में साफ लिखा है, सत्य के साथ खड़ा होना चाहिए। सत्य से पीछे नहीं हटना चाहिए। सत्य से नहीं डरना चाहिए। अहिंसा हमारा प्रतीक है।
नरेंद्र मोदी बोले- पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना, गंभीर विषय
राहुल गांधी के बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सीट से उठे। उन्होंने कहा, "ये विषय बहुत ही गंभीर है। पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना। ये गंभीर विषय है।"
इसपर राहुल गांधी ने कहा, "नहीं..नहीं...नरेंद्र मोदी जी पूरा हिंदू समाज नहीं हैं। बीजेपी पूरा हिंदू समाज नहीं है। आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है।"
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अमित शाह बोले- अपने बयान के लिए माफी मांगे राहुल गांधी
राहुल गांधी के भाषण के दौरान पक्ष के साथ विपक्ष के सांसद भी शोर कर रहे थे। इस बीच अमित शाह अपनी कुर्सी से उठे। उन्होंने कहा, “शोर कर इतने बड़े वाक्य को छिपाया नहीं जा सकता। विपक्ष के नेता ने कहा है कि जो अपने आप को हिंदू कहते हैं वो हिंसा करते हैं। इस देश में शायद इनको मालूम नहीं है, करोड़ों लोग अपने आप को गर्व से हिंदू कहते हैं। क्या वो सभी लोग हिंसा की बात करते हैं? हिंसा करते हैं? हिंसा की बात को किसी धर्म के साथ जोड़ना, सदन में संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा, उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।”
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