राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस नेता कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रपति से मुलाकात कर 2 करोड़ किसानों के हस्ताक्षर का ज्ञापन सौंपा। इस दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत अन्य कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। फिर आधे घंटे बाद उन्हें छोड़ दिया गया। प्रशासन ने पहले ही कह दिया था कि सिर्फ 3 लोग राष्ट्रपति से मिलने जा सकते हैं। लेकिन कांग्रेस ने बात नहीं मानी।
नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन जारी है। इस बीच बागपत के किसान मजदूर संघ के 60 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने एक बार फिर किसानों को पत्र लिखा है। सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए तारीख और समय तय करने के लिए कहा है। सरकार ने कहा, हम किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों के तार्किक समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं।
राहुल गांधी ने राष्ट्रपति से मुलाकात की
राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस नेता कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रपति से मुलाकात कर 2 करोड़ किसानों के हस्ताक्षर का ज्ञापन सौंपा। इस दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत अन्य कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। फिर आधे घंटे बाद उन्हें छोड़ दिया गया। प्रशासन ने पहले ही कह दिया था कि सिर्फ 3 लोग राष्ट्रपति से मिलने जा सकते हैं। लेकिन कांग्रेस ने बात नहीं मानी।
हस्ताक्षर Vs हस्ताक्षर की राजनीति हो रही है
कांग्रेस का दावा है कि 2 करोड़ किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ हस्ताक्षर किया है। ऐसे ही एक दिन पहले ही कृषि कानूनों के समर्थन में 3 लाख किसानों के हस्ताक्षर वाला ज्ञापन सरकार को सौंपा था।
देश का अन्नदाता ठंड में बैठा है : प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, जवान किसान का बेटा होता है, जो किसानों की आवाज ठुकरा रहा है, अपनी जिद्द पर अड़ा हुआ है जबकि देश का अन्नदाता बाहर ठंड में बैठा है तो उस सरकार के दिल में क्या जवान, किसान के लिए आदर है या सिर्फ अपनी राजनीति, अपने पूंजीपति मित्रों का आदर है?
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद राहुल ने क्या कहा?
समर्थन में 3 लाख किसानों ने किया था हस्ताक्षर
बुधवार को कंफेडरेशन ऑफ एनजीओज ऑफ रूरल इंडिया (CNRI) नाम की संस्था की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को किसानों के हस्ताक्षर से भरे 6 डब्बे सौंपे गए थे।
3 कानून कौन से हैं, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं
1- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020 (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)
पहले क्या व्यवस्था- किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं था। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों में फसल बेचनी होती थी। इसके लिए जरूरी था कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते थे। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते थे।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे।
2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे।
3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे।
4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी।
5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।
2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं कानून, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)
पहले क्या व्यवस्था थी- यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित था। किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर था। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा था। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता था।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नए कानून में किसान एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से एग्रीमेंट कर आपस में तय कीमत में फसल बेच सकेंगे।
2- किसानों की मार्केटिंग की लागत बचेगी।
3- दलाल खत्म हो जाएंगे।
4- किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
5- लिखित एग्रीमेंट में सप्लाई, ग्रेड, कीमत से संबंधित नियम और शर्तें होंगी।
6- अगर फसल की कीमत कम होती है, तो भी एग्रीमेंट के तहत किसानों को गारंटेड कीमत मिलेगी।
3- आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून, 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill
पहले क्या व्यवस्था थी- अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता था। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता था। फसल जल्दी सड़ने लगती थी।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।
3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है।
4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।