सरकारी बंगला खाली करने के बाद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर बोला हमला: बोले-सच बोलने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार

Published : Apr 22, 2023, 05:46 PM IST
Rahul Gandhi to hand over official bungalow on Saturday

सार

राहुल गांधी साल 2005 से दिल्ली के 12 तुगलक लेन में एक सरकारी बंगले में रह रहे थे। मोदी सरनेम पर 2019 में की गई उनकी टिप्पणी को लेकर बीते महीना सूरत कोर्ट ने उनको दो साल की सजा सुनाई।

Rahul Gandhi vacated government bunglow: मोदी सरनेम पर कमेंट के बाद दो साल की सजा होने पर अयोग्य घोषित सांसद राहुल गांधी ने सरकारी बंगला खाली कर दिया है। राहुल गांधी ने बंगला खाली करने के बाद केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि वह संसद के सदस्य के रूप में अपनी अयोग्यता के बाद नई दिल्ली में अपना सरकारी आवास खाली करने के बाद सच बोलने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं।

सरकारी बंगले के बाहर मीडिया से की बात

राहुल गांधी ने अपने बंगले के बाहर खड़ी मीडिया से कहा, "हिंदुस्तान के लोगों ने मुझे 19 साल तक यह घर दिया, मैं उनका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। यह सच बोलने की कीमत है। मैं सच बोलने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूं।" बात करने के बाद वह अपनी कार में बैठकर निकल गए। उन्होंने कहा कि वह अपना सामान अपनी मां सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ में रहेंगे। वह अस्थायी रूप से वहां तबतक रहेंगे जबकि उनको कोई दूसरा आवास नहीं मिल जाता है।

12 तुगलक लेन के सरकारी बंगले में रह रहे थे राहुल गांधी

राहुल गांधी साल 2005 से दिल्ली के 12 तुगलक लेन में एक सरकारी बंगले में रह रहे थे। मोदी सरनेम पर 2019 में की गई उनकी टिप्पणी को लेकर बीते महीना सूरत कोर्ट ने उनको दो साल की सजा सुनाई। सजा सुनाए जाने के बाद अगले ही दिन संसद सचिवालय ने उनको निचले सदन से अयोग्य घोषित कर दिया जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। हालांकि, राहुल गांधी ने इस केस में फैसले के खिलाफ अपील भी की है। लेकिन लोकसभा सचिवालय ने 27 मार्च को नोटिस जारी कर राहुल गांधी को 22 अप्रैल तक अपना सरकारी अलॉटेड बंगला खाली करने के लिए कहा। नोटिस मिलने के बाद 22 अप्रैल को राहुल गांधी ने सरकारी बंगला खाली कर दिया।

कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर प्रतिशोध की राजनीति करने का लगाया आरोप

कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने अदालत के फैसले और राहुल गांधी की अयोग्यता को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध और लोकतंत्र पर हमला बताते हुए निंदा की है। जबकि भाजपा ने अदालत के फैसले का बचाव किया है।

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