सोशल मीडिया (social media) पर फेमस होने के लिए लोग जान जोखिम में डाल रहे हैं। इनमें ट्रेन (train) और रेलवे ट्रैक (railway tracks) लोगों की पसंदीदा जगहें हैं। ट्रेन आने ही वाली होती है, उस समय रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रील्स (reels) बनाने के चक्कर में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ट्रेन के दरवाजे पर खड़े होकर फोटो, वीडियो बनाने के चक्कर में जान जोखिम में डालने वाले भी हैं। आँखों के सामने ऐसी कई घटनाएं होने के बाद भी लोगों को समझ नहीं आ रही है। लोगों के इस रील्स के दीवानेपन से दूसरे यात्रियों को भी परेशानी होती है और रेलवे को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसे गंभीरता से लेते हुए रेलवे ने एक अहम फैसला लिया है।
भारतीय रेलवे ने रेलवे ट्रैक, ट्रेन और रेलवे परिसर में रील्स बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल ऑफिस को सख्त निर्देश जारी किए हैं। सुरक्षित रेल संचालन और यात्रियों की सुविधा के लिए यह कदम उठाया गया है। रेलवे परिसर या पटरियों पर यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे के कामकाज में बाधा डालने वाली किसी भी गतिविधि को गंभीरता से लिया जाएगा, ऐसा रेलवे बोर्ड ने स्पष्ट किया है।
रेलवे ट्रैक पर रील्स बनाने वाले लोग रेलवे के कामकाज में बाधा डालते हैं। पटरियों पर इस तरह की गतिविधियों से ट्रेन की समय-सारिणी और संचालन प्रभावित होता है। साथ ही, ट्रेन के डिब्बे या रेलवे परिसर में रील्स बनाना दूसरे यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बनता है।
रेलवे बोर्ड के सख्त निर्देश: पहले से ही हर जगह चेतावनी बोर्ड लगे हैं। लेकिन कोई सख्त कानून लागू नहीं था। कोई सजा नहीं होती थी। इसलिए लोग इसे नज़रअंदाज़ करते थे। अब रेलवे इसे गंभीरता से लेगा। अगर कोई भी व्यक्ति ऐसी गतिविधि में शामिल पाया गया तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। रेलवे पटरियों पर इस तरह की गतिविधियां खतरनाक और गैरकानूनी हैं, इस बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए रेलवे अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
रेलवे परिसर और पटरियों पर किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि को रेलवे अधिनियम, 1989 के तहत दंडनीय अपराध माना जाएगा। सोशल मीडिया पर लोकप्रियता हासिल करने के लिए रेलवे ट्रैक पर रील्स बनाना न केवल खतरनाक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
रेलवे ने लोगों से रेलवे परिसर और पटरियों पर किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधियों से बचने की अपील की है। रेलवे यात्रियों और सामाजिक संगठनों के सहयोग से जागरूकता अभियान चला रहा है।
सिर्फ ट्रेन, पटरियों पर ही नहीं, बल्कि पर्यटन स्थलों पर भी रील्स बनाकर अपनी जान जोखिम में डालने वालों की संख्या बढ़ रही है। वहाँ भी चेतावनी बोर्ड सिर्फ दिखावे के लिए हैं। अगर रेलवे की तरह राज्य सरकारें भी उचित कदम उठाएँ, जुर्माना या सजा देना शुरू करें, तो खतरों को कम किया जा सकता है।