रेलवे ने ट्रेनों के डिब्बों में बनाया ICU, जरूरत पड़ने पर देश के अंदरूनी इलाकों में भेजे जाएंगे कोच

रेलवे ने शनिवार को बताया कि अगले कुछ दिनों में अमल में लाई जा सकने वाली अच्छी पहलों को अंतिम रूप देने के बाद प्रत्येक रेलवे मंडल हर हफ्ते 10 कोच की एक रेक का निर्माण करेगा। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 28, 2020 5:12 PM IST

नई दिल्ली. रेलवे ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए गैर AC ट्रेन कोचों को पृथक वार्ड में तब्दील कर आईसीयू का प्रारूप पेश किया है।

देश के आंतरिक इलाकों में भेजी जाएगी कोच

Latest Videos

रेलवे ने शनिवार को बताया कि अगले कुछ दिनों में अमल में लाई जा सकने वाली अच्छी पहलों को अंतिम रूप देने के बाद प्रत्येक रेलवे मंडल हर हफ्ते 10 कोच की एक रेक का निर्माण करेगा। उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने कहा, “ उसके बाद हम आतंरिक इलाकों या जिस भी क्षेत्र को कोच की जरूरत होगी, वहां सेवा देंगे।”

रेलवे ने कहा परिष्कृत पृथक वार्ड बनाने के लिए बीच की सीट को हटा दिया गया है, निचले हिस्से को प्लाईवुड से भरा गया है और गलियारे वाले तरफ से क्षेत्र विभाजित किया गया है ताकि कंपार्टमेंट पृथक हो जाए।

एक मरीज को दूसरे से अलग करने के लिए बीच में पर्दा लगाया गया है

इसके अलावा रेलवे ने चिकित्सा उपकरणों के लिए प्रत्येक कंपार्टमेंट में 220 वोल्ट के बिजली के प्वाइंट दिए हैं। इन सभी कंपार्टमेंट में एक मरीज को दूसरे से अलग करने के लिए बीच में पर्दे लगाए गए हैं। इसके अलावा 415 वोल्ट आपूर्ति बाहर से करने का भी रेलवे ने प्रावधान किया है।

प्रत्येक कोच के चार शौचालयों में से टॉयलेट सीट हटाकर और फर्श बिछाकर दो गुसलखानों में तब्दील किया गया है।
प्रत्येक गुसलखाने में एक हैंड शावर, एक बल्टी और एक मग होगा। इन कोच में न सिर्फ मरीजों के लिए वार्ड होंगे बल्कि परामर्श कक्ष, चिकित्सा स्टोर, आईसीयू और पैंट्री जैसी सुविधाएं भी होंगी।

भारत में प्रत्येक 1000 लोगों पर 0.7 % बेड है

एक अधिकारी ने बताया कि कुछ अन्य रेलवे मंडल भी गैर वातानुकूलित कोचों को पृथक वार्ड में तब्दील करने का प्रयोग कर रहे हैं। गुवाहाटी के कामाख्या में आईसीएफ गैर वातानुकूलित कोच के साथ ऐसा ही प्रयोग किया गया। जहां कई रेलवे मंडलों में उत्पादन इकाइयां वेंटिलेटर, बेड और ट्रॉली जैसी आवश्यक सामग्रियों के निर्माण में जुटे हुए हैं वहीं दक्षिण मध्य रेलवे अपने कारखानों एवं कोच निर्माण डिपो में फेस मास्क, ऊपरी पोशाक, चारपाई, स्टूल आदि बनाने का काम पहले ही कर चुकी है।

2011 की जनगणना के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि भारत में प्रत्येक 1,000 लोगों पर केवल 0.7 बेड हैं। देश का लक्ष्य जहां प्रत्येक 1,000 लोगों पर दो बेड उपलब्ध कराने का है वहीं डब्ल्यूएचओ भारत में प्रत्येक 1,000 लोगों पर कम से कम तीन बेड की अनुशंसा करता है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

Share this article
click me!

Latest Videos

New York में Hanumankind, आदित्य गढ़वी और देवी श्री की जोरदार Performance, PM Modi ने लगाया गले
मुजफ्फरनगर में क्यों भिड़ गए योगी के 2 मंत्री, जमकर हुई तू-तू, मैं-मैं । Anil Kumar । Kapil Dev
CM बनते ही दूसरी कुर्सी पर बैठी Atishi , आखिर क्यों बगल में खाली छोड़ दी 'गद्दी' । Arvind Kejriwal
RSS और BJP की चुप्पी! संजय सिंह ने फिर से दोहराए Arvind Kejriwal के पूछे 5 सवाल
दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए क्यों लेते हैं ‘सेक्स वर्कर्स’ के आंगन की मिट्टी । Durga Puja । Navratri