राज्यसभा सभापति नायडू ने उपसभापति हरिवंश पर लाए विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को किया खारिज

Published : Sep 21, 2020, 10:56 AM ISTUpdated : Sep 21, 2020, 11:43 AM IST
राज्यसभा सभापति नायडू ने उपसभापति हरिवंश पर लाए विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को किया खारिज

सार

सोमवार को राज्यसभा सभापति एम वेंकैया नायडू ने उपसभापति हरिवंश के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence motion) को खारिज कर दिया है। सभापति ने सदन में इसे खारिज करते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव उचित प्रारूप में नहीं था। विपक्ष द्वारा रविवार को कृषि से संबंधित दो विधेयकों पर विपक्ष के संशोधनों की मांग स्वीकार नहीं किए जाने को लेकर उपसभापति के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था।  

नई दिल्ली. राज्यसभा सभापति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को उपसभापति हरिवंश के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence motion) को खारिज कर दिया है। सभापति ने सदन में इसे खारिज करते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव उचित प्रारूप में नहीं था। विपक्ष द्वारा रविवार को कृषि से संबंधित दो विधेयकों पर विपक्ष के संशोधनों की मांग स्वीकार नहीं किए जाने को लेकर उपसभापति के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया था। सभापति नायडू ने कहा कि सदन की कार्यवाही  के अनुसार उपसभापति ने विपक्ष के सदस्यों को अपने स्थानों पर जाने, सदन में हंगामा नहीं करने और संशोधन पेश करने के लिए भी बार- बार कहा था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

सभापति नायडू ने सोमवार को सदन कहा कि हरिवंश के खिलाफ पेश किया गया प्रस्ताव निर्धारित प्रारूप में नहीं है और इसके लिए जरूरी 14 दिनों के समय का भी पालन नहीं किया गया है। सभापति ने कहा कि कल हंगामे के दौरान सदस्यों का व्यवहार आपत्तिजनक और असंसदीय था। उन्होंने कहा कि कल का दिन राज्यसभा के लिए बहुत खराब दिन था क्योंकि सदस्यों ने उपसभापति  हरिवंश के साथ अमर्यादित आचरण किया। इस दौरान सदन में हंगामा जारी रहा।

सरकार ने आठ विपक्षी सदस्यों को मौजूदा सत्र के शेष समय के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया। निलंबित किए गए सदस्यों में 'तृणमूल कांग्रेस' के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, 'आप' के संजय सिंह, 'माकपा' के केके रागेश और इलामारम करीम शामिल हैं। इस दौरान सदन में हंगामा जारी रहा और सभापति ने करीब दो बार उच्च सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया।

 

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