राकेश टिकैत का ऐलान-अगर किसानों के साथ जबर्दस्ती हुई तो किसान थानों-कलक्ट्रेट में लगाएंगे टेंट

11 महीनों से भी अधिक समय से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। किसान केन्द्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Oct 31, 2021 5:54 AM IST

नई दिल्ली। दिल्ली बार्डर्स (Delhi borders)पर आंदोलित किसानों ने सरकार को चेताया है। किसान आंदोलन (Kisasn Andolan) की अगुवाई रहे संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) में शामिल भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि अगर किसानों को बॉर्डरों से जबरन हटाने की कोशिश हुई तो वे देशभर में सरकारी दफ्तरों को गल्ला मंडी बना देंगे।

टिकैत ने कहा कि हमें पता चला है कि प्रशासन जेसीबी की मदद से यहां टेंट को गिराने की कोशिश कर रहा है, अगर वे ऐसा करते हैं तो किसान पुलिस थानों, डीएम कार्यालयों में अपने टेंट लगाएंगे।

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केंद्र सरकार किसानों को आत्महत्या के कुएं में धकेल रही

टिकैत ने ललितपुर (lalitpur) में एक और किसान रघुवीर पटेल के खाद न मिलने से दुखी होकर आत्महत्या करने के मामले में सरकारों को घेरते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकार किसानों को आत्महत्या के अंधे कुएं में धकेल रही है। सरकार हठधर्मिता छोड़े, वरना संघर्ष और तेज होगा।

11 महीने के बाद टीकरी सीमा पर लगे प्रशासन के बैरिकेड हटे

संयुक्त किसान मोर्चा ने टीकरी बॉर्डर (tikri border)पर बैरिकेड हटाने और दिल्ली-हरियाणा मार्ग (Delhi-Haryana road) के एक रास्ते को खोले जाने के बाद शनिवार को कहा था कि अगर केंद्र को पूरी तरह से रास्ते खोलने हैं तो उसे कृषि कानूनों पर किसानों की मांग को पूरा करने के लिए बातचीत का रास्ता भी खोलना चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि किसानों ने कभी सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया। 

11 महीने बाद शनिवार को टीकरी सीमा पर लगे बैरिकेड हटाने के बाद दिल्ली से हरियाणा जाने वाली सड़क का एक मार्ग खोल दिया। दिल्ली पुलिस ने गुरुवार शाम को दिल्ली-रोहतक राजमार्ग पर टीकरी बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेड और कंटीले तारों को हटाना शुरू कर दिया था।

किसान 11 महीनों से कर रहे आंदोलन

11 महीनों से भी अधिक समय से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। किसान केन्द्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है, लेकिन इनका कोई नतीजा नहीं निकला है। 

इन तीनों कानूनों को लेकर आंदोलित हैं किसान

किसान इन तीनों नए कृषि कानूनों - द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। 
केन्द्र सरकार इन तीनों नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, जबकि आंदोलित किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।

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