RBI डिप्टी गवर्नर ने किया बड़ा खुलासा, भारत की रिफाइनरी चुपके से रूस से क्रूड ऑयल सस्ते में लेकर रिफाइन कर रही

यूक्रेन पर फरवरी के आक्रमण के लिए मास्को पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिबंधों के तहत कच्चे तेल, रिफाइन्ड फ्यूल्स, डिस्टिलेट्स, कोयला और गैस सहित रूसी मूल के ऊर्जा उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी गई थी।

नई दिल्ली। अमेरिका ने रूसी कच्चे तेल से बने ईंधन के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद भी भारत द्वारा ईंधन खरीदने पर ऐतराज जताया है। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने बताया कि अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कहा कि भारतीय जहाज, रूसी टैंकर से तेल लेकर गुजरात के बंदरगाहों पर उतर रहे हैं। यह ट्रांसफर हाई सी के माध्यम से हो रहा है। हालांकि, भारत में अमेरिकी दूतावास ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। 

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भारत को बताया कि एक भारतीय जहाज ने ऊंचे समुद्र में एक रूसी टैंकर से तेल उठाया और उसे पश्चिमी तट पर गुजरात के एक बंदरगाह पर लाया, जहां इसे रिफाइन किया गया और भेज दिया गया।

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अमेरिका ने लगाया था फरवरी में प्रतिबंध

यूक्रेन पर फरवरी के आक्रमण के लिए मास्को पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिबंधों के तहत कच्चे तेल, रिफाइन्ड फ्यूल्स, डिस्टिलेट्स, कोयला और गैस सहित रूसी मूल के ऊर्जा उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी गई थी।

आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के दौरान बताया

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए एक कार्यक्रम में बताया कि रिफाइन्ड प्रोडक्ट उस जहाज पर वापस डाल दिया गया था और यह बिना किसी गंतव्य के रवाना हो गया था। पात्रा ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि रूसी कच्चे तेल को संसाधित किया गया था और एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले डिस्टिलेट में परिवर्तित किया गया था। उन्होंने भारतीय पोत या रिफाइनर की पहचान नहीं की।

यूक्रेन युद्ध के बाद रूसी तेल को छूट में ले रहे

दुनिया के तीसरे नंबर के तेल आयातक और उपभोक्ता भारत ने अतीत में शायद ही कभी रूसी तेल खरीदा हो। लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद से, भारतीय रिफाइनर कई पश्चिमी देशों और कंपनियों द्वारा छोड़े गए रूसी तेल को छूट में ले रहे हैं।

दरअसल, माइकल पात्रा की टिप्पणियां ऐसी अमेरिकी चिंताओं के लिए भारत का पहला आधिकारिक सार्वजनिक संदर्भ है। दिल्ली रूस के खिलाफ प्रतिबंधों में शामिल नहीं हुई है या मास्को के यूक्रेन हमले का निंदा भी नहीं किया गया है, जिसे रूस अपने पड़ोसी के यहां विशेष सैन्य अभियान बता रहा है।

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