Shaurya Chakra 2022 : शहीद होने से पहले सपूतों ने निभाया फर्ज, किसी ने सीनियर को बचाया तो किसी ने जूनियर को

 गणतंत्र दिवस के पावन मौके पर अदम्य सौर्य का प्रदर्शन करने के लिए सेना 6 शूरवीरों को तीसरे सबसे बड़े सम्मान शौर्य चक्र से नवाजा गया है.  आइए जानते हैं इनके बारे में... 

Asianet News Hindi | Published : Jan 26, 2022 9:49 AM IST / Updated: Jan 26 2022, 03:30 PM IST

नई दिल्ली :  गणतंत्र दिवस (Republic Day 2022 ) के पावन मौके पर सेना 6 शूरवीरों को तीसरे सबसे बड़े सम्मान शौर्य चक्र (Shaurya Chakra ) से नवाजा गया ।  इनमें से पांच जवानों को यह सम्मान मरणोपरांत मिला है। जवानों को अदम्य साहस का प्रदर्शन करने के लिए यह सम्मान दिया गया है।  आइए जानते हैं उन वीरों के बारे में जिन्हें यह सम्मान दिया गया है। 

 

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हवलदार अनिल कुमार तोमर (मरणोपरांत)


यूपी के मेरठ जिले के हवलदार अनिल तोमर को शौर्य चक्र से नवाजा गया है। वह जम्मू-कश्मीर के शोपियां में एक ऑपरेशन में दिसम्बर-2020 में शहीद हो गए थे। शहीद की पत्नी मीनू तोमर ने बताया कि ये पदक बहादुरी का प्रतीक है। मुझे पति की शहादत पर गर्व है। राजपूत रेजिमेंट के हवलदार अनिल कुमार तोमर ने 25 दिसंबर 2020 में जम्मू और कश्मीर में एक कॉम्बैट एक्शन टीम का नेतृत्व करते हुए दो आतंकवादियों को मार गिराया था। मुठभेड़ में उन्हें कई गोलियां लगी थीं। उन्हें बाद में श्रीनगर स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ऑपरेशन होने के बाद गोलियां भी निकाल दी गईं थीं, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका था।

काशीराय बम्मनल्ली (मरणोपरांत)


कोर ऑफ इंजीनियर्स के हवलदार काशीराय बम्मनल्ली को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकियों के खिलाफ अदम्य साहस का प्रदर्शन करने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाएगा। गौरतलब है कि एक जुलाई, 2021 को हवलदार काशीराय बम्मनल्ली कश्मीर के पुलवामा में एक घेराबंदी और तलाशी अभियान चला रहे थे, जब आतंकवादियों ने ग्रेनेड फेंककर और अंधाधुंध गोलीबारी कर भागने की कोशिश की। सेना के बयान के मुताबिक, सीने पर गंभीर चोट लगने के बावजूद, उन्होंने सटीक गोलियां चलाईं और आतंकवादी को मा्र गिराया ।  खून बहने के बाद भी बम्मनल्ली  रेंगते हुए आगे बढ़े और पास से तीन अन्य आतंकवादियों को मार गिराया, जिससे उनकी टीम के सदस्यों की जान बच गई। लेकिन बाद में भारत के इस वीर सपूत ने भी दम तोड़ दिया और देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

 

हवलदार पिंकू कुमार (मरणोपरांत)


जाट रेजिमेंट के हवलदार पिंकू कुमार ने  एक ऑपरेशन के दौरान एक आतंकवादी को मार गिराया था। इसके लिए उन्हें शौर्य चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया है। अपनी जान गंवाने से पहले पिंकू कुमार ने आतंकवादियों का रास्ता रोका था और एक अन्य आतंकवादी को गंभीर रूप से घायल कर दिया था।

 

सिपाही मारुप्रोलू जसवंत कुमार (मरणोपरांत)


रेड्डी सिपाही मारुप्रोलू जसवंत कुमार रेड्डी को जम्मू-कश्मीर में आमने-सामने की मुठभेड़ में एक आतंकवादी को मारने के लिए शौर्य चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया है। रेड्डी ने इस ऑपरेशन के दौरान अपने टीम कमांडर की जान भी बचाई थी। सेना के बयान के मुताबिक, रेड्डी पिछले साल  एक तलाशी अभियान चला रहे थे कि आतंकवादियों से उनका आमना-सामना हो गया और उन्होंने उनमें से एक आतंकवादी को आमने-सामने की मुठभेड़ में मार गिराया। जब वह अन्य आतंकवादियों को ढेर करने के लिए आगे बढ़े तो उन्होंने देखा कि उनका सैन्य टीम कमांडर आतंकवादियों की गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। इसके बाद रेड्डी ने आतंकवादियों पर हथगोले फेंके और अपने टीम कमांडर की ओर तेजी से रेंगते हुए आगे बढ़े। इस दौरान वह आतंकियों की  गोलीबारी की चपेट में आ गए।और गंभीर रूप से घायल हो गए, लेकिन अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना उन्होंने आतंकवादियों पर जवाबी कार्रवाई जारी रखी और अपनी चोटों के चलते शहीद होने से पहले अपने टीम कमांडर को सुरक्षित जगह खींच लिया।’

नायब सूबेदार श्रीजीत एम (मरणोपरांत)


17 मद्रास के नायब सूबेदार श्रीजीत एम को जुलाई 2021 में जम्मू-कश्मीर में तलाशी अभियान के दौरान ऑपरेशन में एक आतंकवादी को मार गिराने के लिए शौर्य चक्र (मरणोपरांत) मिला है। सेना के बयान के मुताबिक, आठ जुलाई 2021 नायब सूबेदार ने  को जम्मू-कश्मीर के घने जंगलों में तलाशी अभियान के दौरान आमने-सामने की मुठभेड़ में एक आतंकवादी को मार गिराया था। इस दौरान वह भी गंभीर रुप में घायल हो गए थे और बाद में जाकर दम तोड़ दिया था। 

 

राइफलमैन राकेश शर्मा


राकेश शर्मा इन सभी 6 जवानों में अकेले जीवित शौर्य चक्र विजेता हैं,  राइफलमैन राकेश शर्मा असम में उग्रवाद के खिलाफ अदम्य साहस का प्रदर्शन करने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। गौरतलब है कि राकेश शर्मा पिछले साल 22-23 मई को असम में उग्रवाद रोधी एक अभियान का हिस्सा थे। सेना के बयान के मुताबिक, शर्मा ने दो उग्रवादियों को घने पेड़-पौधों की आड़ में भागते हुए देखा।  उन्होंने तुरंत अपने सहयोगी के कवरिंग फायर के बीच उग्रवादियों का पीछा किया और बचकर भागने के उनके मार्ग को अवरुद्ध कर दिया।  बयान में कहा गया कि शर्मा ने भाग रहे एक उग्रवादी को गोली से उड़ा दिया, लेकिन वह दूसरे उग्रवादी की भारी गोलाबारी की चपेट में आ गए। सेना ने कहा कि वह तुरंत एक गिरे हुए पेड़ की आड़ लेकर आगे बढ़े और ‘शानदार गोलीबारी’ का प्रदर्शन करते हुए दूसरे उग्रवादी को भी मार गिराया।

 

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