सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के बाद अब 21 रिटायर्ड जजों ने CJI को लिखा लेटर, कहा-ज्यूडिशियरी को अनुचित दबाव से बचाइए...

इन सेवानिवृत्त जजों ने कहा कि कुछ ग्रुप्स द्वारा सोचे-समझे दबाव, गलत सूचना और सार्वजनिक अपमान कर न्यायपालिका को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है।

Dheerendra Gopal | Published : Apr 15, 2024 10:57 AM IST

Retired Judges letter to CJI: सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के बाद अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स के 21 रिटायर्ड जजों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को लेटर लिखकर ज्यूडिशयरी की रक्षा की अपील की है। इन सेवानिवृत्त जजों ने कहा कि कुछ ग्रुप्स द्वारा सोचे-समझे दबाव, गलत सूचना और सार्वजनिक अपमान कर न्यायपालिका को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। यह लोग अपनी संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ के लिए आलोचना कर रहे हैं। इन लोगों द्वारा जनता में ज्यूडिशियरी का विश्वास कम करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, लेटर लिखने वाले जजों ने यह नहीं बताया कि वह लोग किन घटनाओं को ध्यान में रखकर यह लेटर लिख रहे हैं।

रिटायर्ड जजों का यह लेटर कुछ विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कार्रवाई किए जाने के बाद सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के बीच आया है। प्रभावित नेताओं और उनकी पार्टियों द्वारा राहत पाने के लिए अदालतों का रुख करने के साथ, भाजपा ने अक्सर उन पर न्यायिक निर्णयों का चयनात्मक ढंग से उपयोग करने का आरोप लगाया है।

लेटर लिखने वालों में रिटायर्ड जस्टिस दीपक वर्मा, रिटायर्ड जस्टिस कृष्ण मुरारी, रिटायर्ड जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और रिटायर्ड जस्टिस एमआर शाह सहित करीब 21 रिटायर्ड जज शामिल हैं। इन जजों ने आलोचकों पर कोर्ट्स और जजों की ईमानदारी पर सवाल उठाकर न्यायिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करने के स्पष्ट प्रयासों के साथ कपटपूर्ण तरीके अपनाने का आरोप लगाया।

सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने कहा कि ज्यूडिशियरी की सुरक्षा की आवश्यकता है। इस तरह की आलोचना न केवल हमारी न्यायापालिका की पवित्रता का अपमान है बल्कि न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों के लिए सीधी चुनौती भी पेश करती है। यह जजों पर अनुचित दबाव बनाने का एक तरीका भी है।

 

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