कोलकाता केसः ममता बनर्जी के लिए आफत बनी पुलिस प्रशासन की ये 10 बड़ी गलतियां
कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में हुई ट्रेनी डॉक्टर की मौत के मामले में शुरुआती जाँच और प्रशासन की प्रतिक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। डॉक्टर्स का आरोप है कि पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने लापरवाही बरती और मामले को दबाने की कोशिश की गई।
Dheerendra Gopal | Published : Sep 16, 2024 6:08 PM IST / Updated: Sep 17 2024, 11:11 AM IST
Trainee Doctor rape and murder case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप व मर्डर मामले में लगातार प्रदर्शन कर रहे ट्रेनी डॉक्टर्स के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बातचीत की है। प्रतिनिधिमंडल और मुख्यमंत्री के बीच करीब दो घंटे तक बात हुई है। दरअसल, ट्रेनी डॉक्टर रेप व मर्डर मामले में पहले दिन से हुई कुछ गलतियों ने डॉक्टर्स के निशाने पर राज्य सरकार को ला दिया था। आईए जानते हैं वह 10 गलतियां जिसकी वजह से ममता बनर्जी को विरोध का सामना करना पड़ा था।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज की ट्रेनी डॉक्टर का शव 9 अगस्त को कैंपस के सेमीनार हॉल में मिला था। डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। लेकिन कालेज प्रशासन ने उसे पहले आत्महत्या बताने की कोशिश की।
ट्रेनी डॉक्टर का शव मिलने के काफी देर बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी। सूचना में भी अस्पष्ट जानकारी पहले दी गई।
परिजन को भी फोन पर सही सूचना पहले नहीं दी गई।
वारदात की सूचना मिलने के काफी देर बाद स्थानीय ताला थाना के प्रभारी पहुंचे। कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ.संदीप घोष ने 9 अगस्त को सुबह 10.03 बजे थाना प्रभारी अभिजीत मंडल को फोन किया। लेकिन वह एक घंटा बाद मौका-ए-वारदात पर पहुंचे।
पहले सच छुपाने की कोशिश की गई। दरसअल, पुलिस की जीडी में पहले आरजी मेडिकल कॉलेज में पीजी ट्रेनी डॉक्टर को अचेतावस्था में मिलने की बात कही गई। जबकि सेमीनार हाल में ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था जोकि डॉक्टर्स ने बिना देर किए मौत की पुष्टि कर दी थी। शव का हाल देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता था कि उसकी रेप कर हत्या की गई लेकिन पहले यह सब नहीं बताया गया।
रेप व हत्या के मामले में आरोपी संजय राय को वारदात के कुछ घंटे बाद ही अरेस्ट कर लिया गया था लेकिन थाना प्रभारी ने केस तो दर्ज किया लेकिन रेप व हत्या संबंधित धाराओं को नहीं लगाया। यही नहीं मुख्य अभियुक्त संजय राय के कपड़े व अन्य साक्ष्यों को भी दो दिन तक बरामद नहीं किया गया। पुलिस द्वारा अनावश्यक देरी का भी आरोप लगा।
क्राइम सीन को सुरक्षित और संरक्षित रखने में पुलिस ने लापरवाही बरती। मौका-ए-वारदात पर काफी संख्या में लोग दिखे। तमाम वीडियो इसके वायरल है। जबकि क्राइम सीन को बिना देर किए ही पुलिस को सील कर देना चाहिए था।
मृतका डॉक्टर के माता-पिता का आरोप है कि उनको अस्पताल प्रशासन ने पहले गलत सूचना दी। आत्महत्या बताया गया। घटनास्थल पर पहुंचने के बाद भी उसके परिजन को अंदर जाने से रोका गया। पोस्टमार्टम में भी देरी की गई। डेथ सर्टिफिकेट देने में भी देरी की गई।
ममता बनर्जी के मुआवजा देने के ऐलान की भी आलोचना की गई। दरअसल, रेप व हत्या की वारदात के बाद मामला तूल पकड़ने पर ममता बनर्जी ने पीड़ित परिजन से मुलाकात की। उन्होंने परिवारीजन को 10 लाख रुपये मुआवजा की भी पेशकश की। लेकिन उनकी पेशकश की काफी आलोचना की गई। हालांकि, ममता बनर्जी ने ऐसी किसी भी मुआवजा की पेशकश से इनकार किया था।
विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स पर बाहरी लोगों ने किया हमला, सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठा। 14 अगस्त की रात में मेडिकल कॉलेज कैंपस में जूनियर डॉक्टर्स विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान काफी संख्या में बाहरी लोग प्रदर्शनकारियों के भेष में अंदर कैंपस में तोड़फोड़ किया। डॉक्टर्स से मारपीट की, पुलिस पर पथराव भी किया। भीड़ द्वारा क्राइम सीन को भी नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा।