आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने, मॉब लिंचिंग समेत तमाम मुद्दों पर बातचीत की। इस दौरान उन्होंने मॉब लिंचिंग की घटनाओं की आलोचना की। भागवत ने कहा कि इस तरह की हिसंक घटनाओं को संघ कार्यकर्ताओं द्वारा रोका जाना चाहिए।
नई दिल्ली. आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने, मॉब लिंचिंग समेत तमाम मुद्दों पर बातचीत की। इस दौरान उन्होंने मॉब लिंचिंग की घटनाओं की आलोचना की। भागवत ने कहा कि इस तरह की हिसंक घटनाओं को संघ कार्यकर्ताओं द्वारा रोका जाना चाहिए।
भागवत विदेशी मीडिया को संबोधित कर रहे थे। आरएसएस के मुताबिक, इस संवाद में 30 देशों के 80 पत्रकारों ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेने के फैसले को राज्य के लोगों के लिए बेहतर बताया।
'अलग-थलग महसूस कर रहे थे कश्मीर के लोग'
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू कश्मीर के लोगों में रोजगार एवं जमीन खोने सहित राष्ट्रीय नागरिकता पंजी से जुड़ी चिंताओं को दूर किया जाना चाहिए। भागवत ने कहा कि पहले जम्मू कश्मीर के लोग मुख्यधारा से अलग थलग महसूस कर रहे थे। लेकिन अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने से यह बाधा दूर हो गई है, जो उनके और शेष भारत के लोगों के बीच रुकावट बनी हुई थी।
आरएसएस ने बताया, 'मोहन भागवत नियमित अंतराल में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात करते हैं। इस दौरान वे संघ के विचार, कार्य और समसामायिक विषयों पर चर्चा करते हैं। कश्मीर में रोजगार और जमीन खोने की चिताओं के बारे में सवाल पर भागवत ने कहा कि इस तरह के डर को दूर किया जाना चाहिए।
असम में एनआरसी को लेकर उन्होंने कहा कि यह लोगों के निष्कासन से जुड़ा विषय नहीं है, बल्कि जो नागरिक हैं और जो नागरिक नहीं हैं, उनकी पहचान से जुड़ा विषय है। उन्होंने नागरिकता विधेयक का समर्थन किया।