नागपुर के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय में दशहरा कार्यक्रम मनाया गया। कोरोना को देखते हुए इस समारोह में सिर्फ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत सिर्फ 50 स्वयंसेवक ही शामिल हुए।
नागपुर. नागपुर के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय में दशहरा कार्यक्रम मनाया गया। कोरोना को देखते हुए इस समारोह में सिर्फ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत सिर्फ 50 स्वयंसेवक ही शामिल हुए। इस दौरान मोहन भागवत ने कहा, 9 नवंबर को श्रीरामजन्मभूमि के मामले में अपना असंदिग्ध फैसला सुनाकर सुप्रीम कोर्ट ने इतिहाल बनाया।
विजयादशमी के मौके पर मोहन भागवत ने कहा, भारतीय जनता ने राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संयम और समझदारी का परिचय देते हुए स्वीकार किया। 5 अगस्त को अयोध्या में मंदिर के भूमिपूजन के दिन देशभर का वातावरण सात्विक, परंतु सयंमित, पवित्र और स्नेहपूर्ण रहा।
'चीन को दिया स्पष्ट संदेश'
भागवत ने कहा कि चीन के साम्राज्यवादी स्वभाव के सामने भारत तनकर खड़ा हुआ है, जिससे पड़ोसी देश के हौसले पस्त हुए हैं। कोई भी देश हमारी दोस्ती को कमजोरी न समझे। भागवत ने कहा, पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे चीन भारत के क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहा है। चीन के विस्तारवादी नीति से हर कोई परिचित है। चीन ताइवान, वियतनाम, अमेरिका, जापान और भारत से लड़ाई लड़ रहा है। लेकिन भारत के पलटवार ने चीन को बेचैन कर दिया।
'कोरोना की विनाशकता का प्रभाव भारत में कम'
संघ प्रमुख ने कहा, विश्व के अन्य देशों की तुलना में हमारा भारत संकट की इस परिस्थिति में अधिक अच्छे प्रकार से खड़ा हुआ दिखाई देता है। भारत में इस महामारी की विनाशकता का प्रभाव बाकी देशों से कम दिखाई दे रहा है, इसके कुछ कारण हैं।
भागवत ने कहा, हमने नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन देखे, इससे देश में तनाव पैदा हुआ। इससे पहले कि इस पर आगे चर्चा हो पाती, इस साल कोरोना पर ध्यान आ गया। इसलिए, कुछ लोगों के दिमाग में सांप्रदायिक भड़काना केवल उनके दिमाग में रह गया। कोरोना अन्य मुद्दों पर भी छा गया।