युद्धग्रस्त क्षेत्र से लोगों को निकालना मुश्किल काम, अमेरिका ने खड़े किए हाथ, मिशन मोड में जुटी मोदी सरकार

 रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के चलते यूक्रेन में हजारों की संख्या में भारतीय नागरिक फंस गए हैं। भारत सरकार मुश्किल में पड़े अपने नागरिकों को लाने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 28, 2022 4:08 PM IST / Updated: Feb 28 2022, 09:47 PM IST

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia Ukraine War)  के चलते यूक्रेन में हजारों की संख्या में भारतीय नागरिक फंस गए हैं। भारत सरकार मुश्किल में पड़े अपने नागरिकों को लाने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है। इसके लिए ऑपरेशन गंगा चलाया जा रहा है। इस बीच पिछले कुछ दिनों में लोगों के एक वर्ग ने यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को लाने के मामले में केंद्र सरकार की आलोचना की है। कहा गया कि सरकार ने यूक्रेन में भारत के लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया। हालांकि सच्चाई इससे अलग है। 

ऑपरेशन गंगा के तहत तेजी से भारतीयों को अपने देश लाया जा रहा है। युद्ध ग्रस्त देश से अपने नागरिकों को वापस लाने का अभियान आसान नहीं होता। कई परेशानियां आती हैं। इस मामले में भारत सरकार की आलोचना करने से पहले यह देखने की जरूरत है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने नागरिकों को स्पष्ट रूप से क्या बताया है। 

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अमेरिका रूस-यूक्रेन युद्ध में प्रमुख स्टेकहोल्डर है। उसने अपनी नवीनतम सलाह में अपने नागरिकों से कहा है कि उनकी सरकार उन्हें यूक्रेन से निकालने में सक्षम नहीं होगी। पूरे यूक्रेन में सुरक्षा की स्थिति अप्रत्याशित बनी हुई है। कई शहरों और अन्य स्थानों पर रूस और यूक्रेन की सेना के बीच लड़ाई हो रही है। इसके बाद भी अमेरिका का यह फैसला अधिक हैरान करने वाला है। अमेरिका यूक्रेन से अपने लोगों को निकालने में सक्षम नहीं होने की बात तब कह रहा है जब आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ने की संभावना है।

चार मंत्री करेंगे भारतीयों की निकासी प्रक्रिया का समन्वय 
अब इसकी तुलना भारत सरकार की प्रतिक्रिया से करें। नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने चार शीर्ष मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोस में विशेष दूत के रूप में भेजा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीयों को सुरक्षित निकाला जा सके। उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया रोमानिया और मोल्दोवा के रास्ते निकासी का समन्वय करेंगे। कानून मंत्री किरेन रिजिजू स्लोवाकिया, पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी हंगरी और जनरल वीके सिंह पोलैंड के रास्ते निकासी का समन्वय करेंगे।

अगले 24 घंटों में भारत के लिए तीन विमान उड़ान भरने वाले हैं, जिसमें बुखारेस्ट से दो और बुडापेस्ट से एक शामिल है। इनमें से दो फ्लाइट दिल्ली में उतरेंगी, जबकि एक मुंबई पहुंचेगी। भारत की तुलना में संयुक्त राज्य अमेरिका की सलाह उनके नागरिकों के लिए बहुत कम मददगार रही है। अमेरिकी दूतावास का नवीनतम बयान यूक्रेन में अपने नागरिकों से निजी तौर पर उपलब्ध परिवहन विकल्पों का उपयोग करके "यदि ऐसा करना सुरक्षित है" का आग्रह करता है। परिस्थितियों को देखते हुए, यह परिदृश्य आश्वस्त करने से बहुत दूर है। यह आगे कहता है कि मार्गों और यात्रा के जोखिमों पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए। क्योंकि यूक्रेन की सड़कों पर कई मामलों में भीड़भाड़ होती है। लोग लड़ाई की चपेट में आ सकते हैं। कुछ स्थानों पर पुल जैसे बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया है। 

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अब, इसकी तुलना भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा साझा की गई नवीनतम सलाह की भाषा से करें। यूक्रेनियन नागरिक और अधिकारी भारतीय नागरिकों की निकासी को सुविधाजनक बनाने में उल्लेखनीय रूप से सहायक रहे हैं। हम सभी भारतीय लोगों से शांत और एकजुट रहने का अनुरोध करते हैं। नागरिकों को आगाह करते हुए कहा गया कि कीव से निकलने वाली ट्रेनों के कार्यक्रम में बदलाव और लंबी कतारों के चलते उनके कीव से निकलने में देर हो सकती है। रेलवे स्टेशनों पर आक्रामक व्यवहार नहीं करें। धैर्यपूर्वक तरीके से विशेष ट्रेनों के चलने की प्रतीक्षा करें। इनमें यात्रा मुफ्त है। यूक्रेनियन उन्हें पश्चिमी यूक्रेन से जाने के लिए विशेष ट्रेनें चला रहे हैं।

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