रूस ने बनाया था दुनिया का सबसे बड़ा Atom Bomb, हिरोशिमा पर गिराए गए अमेरिकी बम से 3300 गुणा अधिक था घातक

Tsar Bomba मानव इतिहास का सबसे शक्तिशाली हथियार है। 30 अक्टूबर 1961 को उत्तरी रूस के नोवाया जेमल्या द्वीपसमूह पर इसे टेस्ट किया गया था। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 9, 2021 3:05 AM IST

नई दिल्ली। यूक्रेन के मामले में रूस और अमेरिका आमने-सामने हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध (Second World War) के बाद से दोनों महाशक्तियों के बीच चल रही तनातनी ने दुनिया को कई ऐसे खतरनाक हथियार दिए हैं, जिनके इस्तेमाल की कल्पना से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। Tsar Bomba इनमें से एक है। यह अब तक बना दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु बम (Atom Bomb) है। दूसरे विश्व युद्ध के समय अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम की तुलना में यह 3300 गुणा अधिक घातक था।

Tsar Bomba मानव इतिहास का सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसे टेस्ट के लिए चलाया गया था। इससे पहले सबसे अधिक खतरनाक अमेरिका द्वारा बनाया गया परमाणु बम B41 था। तीन स्टेज वाले इस बम की ताकत 25 मेगाटन टीएनटी थी। वहीं, Tsar Bomba की अधिकतम ताकत 100 मेगा टन टीएनटी थी। 30 अक्टूबर 1961 को उत्तरी रूस के नोवाया जेमल्या द्वीपसमूह पर इसे टेस्ट किया गया था। 

965 किलोमीटर दूर तक देखा गया था धमाका
परमाणु बम फटने से बहुत बड़ा मशरूम बादल बना था। यह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट से 7 गुणा अधिक ऊंचाई ( 64.3 किलोमीटर) तक गया था। धमाके के बाद निकला आग का गोला बहुत बड़ा था। यह लगभग उस ऊंचाई (10.5 किलोमीटर) तक पहुंच गया था जहां से बम गिराया गया था। धमाके को 965 किलोमीटर दूर तक देखा गया था।

सैन्य इस्तेमाल लायक नहीं था बम
बम को रूस ने अपनी सैन्य ताकत दिखाने के लिए बनाया था, लेकिन यह आकार में इतना बड़ा था कि इसे इस्तेमाल कर पाना मुश्किल था। बड़े आकार और भारी वजन के चलते बम सैन्य इस्तेमाल लायक नहीं था। उस समय बने किसी भी विमान में इतनी क्षमता नहीं थी कि बम के साथ दूसरे महाद्वीप तक उड़ान भर सके। Tsar Bomba का वजन 27 टन था। यह रूसी बमवर्षक विमान Tu-95 के हथियार ले जाने की क्षमता से ढाई गुना अधिक भारी था।

बम के टेस्ट के लिए Tu-95 विमान को मॉडिफाई किया गया था। बम के विमान से गिरने की रफ्तार कम करने की जरूरत पड़ी थी ताकि विमान को धमाके की चपेट में आने से बचने का समय मिल सके। इसके लिए विशेष पैराशूट बनाए गए थे। पायलट आंद्रेई डर्नोवत्सेव ने 10.5 किलोमीटर की ऊंचाई से बम गिराया था और 4 किलोमीटर की ऊंचाई पर बम में धमाका किया गया था। धमाके के अगले पल 6.4 किलोमीटर चौड़ा आग का गोला बना था। धमाके की रोशनी 2 हजार किलोमीटर दूर तक देखी गई थी। इससे द्वीप का सतह सपाट हो गया था और पत्थर पिघल गए थे।

 

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