सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सबरीमाला मामले को 7 जजों की बेंच को भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दो दिन बाद भगवान अयप्पा का मंदिर सबरीमाला आज खुल रहा है।
तिरुअनंतपुरम. केरल का प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर शनिवार को दो महीनों की तीर्थ यात्रा के लिए खोल दिया गया। इस दौरान पुलिस ने आंध्र से मंदिर का दर्शन करने आईं 10 महिलाओं को वापस भेज दिया है। इन महिलाओं की उम्र 10-50 साल के बीच थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सबरीमाला मामले को 7 जजों की बेंच को भेज दिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को नहीं बदला था, जिसमें 10-50 साल की उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी। मंदिर में मंडला पूजा का त्योहार है। इस दौरान सभी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति है। हालांकि, केरल सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी महिला को सुरक्षा नहीं दी जाएगी।
उधर, महिला कार्यकर्ता तृप्ति देसाई, जो महिलाओं के प्रवेश पर बैन का विरोध करती रही हैं, उन्होंने कहा कि वे मंदिर में 20 नवंबर को प्रवेश करने जाएंगी। उन्होंने राज्य सरकार से सुरक्षा भी मांगी है। उन्होंने कहा कि वे वहां जरूर जाएंगी, चाहें उन्हें सुरक्षा मिले या ना मिले।
28 सितंबर 2018 को महिलाओं को प्रवेश की अनुमति मिली
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 7 जजों की बड़ी बेंच को भेज दिया। बेंच ने 3:2 के बहुमत से इस पर फैसला किया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि महिलाओं का पूजा स्थलों में प्रवेश सिर्फ इस मंदिर तक सीमित नहीं है, यह मस्जिदों और पारसी मंदिरों पर भी लागू होता है। 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने 4:1 के बहुमत से 10-50 साल की महिलाओं को केरल स्थित सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी। इससे पहले 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी, यह परंपरा 800 साल पुरानी थी।
महिलाओं के लिए सुरक्षा नहीं
सूत्रों के मुताबिक, केरल सरकार ने फैसला किया है कि सबरीमाला में महिला कार्यकर्ताओं को दर्शन के लिए कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी। केरल के कई मंत्रियों ने भी कहा है कि कानून और व्यवस्था बनाई रखी जाएगी, महिला कार्यकर्ताओं को सबरीमाला मंदिर से दूर रहना चाहिए।
केरल देवस्वोम मिनिस्टर सुरेंद्रन ने शुक्रवार को कहा, सबरीमाला सक्रियता का स्थान नहीं है और केरल सरकार उन लोगों का समर्थन नहीं करेगी जो प्रचार करके मंदिर में प्रवेश के लिए आएंगे।
मंदिर में क्या-क्या व्यवस्थाएं?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 2018 में हुए विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सरकार और पुलिस ने मंदिर स्थल के आसपास शांति बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने का फैसला किया है। सबरीमाला में 10 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। इस दौरान 800 मेडिकल स्टॉफ तैनात रहेगा। 16 मेडिकल इमरजेंसी सेंटर बनाए गए हैं। 2400 टॉयलेट, 250 किओस्क पानी की व्यवस्था की गई है।