धरती बचाने और जल संरक्षण में अभूतपूर्व योगदान के लिए सम्मानित हुए सद्गुरु, TERI ने दिया वाटर चैंपियन अवार्ड

पर्यावरण और जल संरक्षण के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने के लिए TERI ने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु को वाटर चैंपियन अवार्ड से सम्मानित किया है।

 

नई दिल्ली। TERI (The Energy and Resources Institute) ने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु को वाटर सस्टेनेबिलिटी अवार्ड समारोह 2022-23 में वाटर चैंपियन अवार्ड से सम्मानित किया है। यह सम्मान उन्हें प्रोजेक्ट ग्रीन हैंड्स, रौली फोर रिवर्स और कावेरी कॉलिंग जैसे अभियान शुरू करने के लिए मिला है।

इस संबंध में टेरी ने ट्वीट कर बताया कि सद्गुरु द्वारा चलाए गए अभियानों से ग्रीन कवर विकसित करने, नदियों को पुनर्जीवित करने और मिट्टी को हेल्दी बनाए रखने को लेकर काम हुआ है।

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30 साल से धरती की रक्षा के लिए काम काम रहे हैं सद्गुरु
जल शक्ति मंत्रालय, UNDP इंडिया और इंटरनेशनल वाटर एसोसिएशन (आईडब्ल्यूए) के सहयोग से टेरी ने वाटर सस्टेनेबिलिटी अवार्ड्स के सेकंड एडिशन का आयोजन किया। दरअसल, सद्गुरु 30 साल से अधिक समय से पर्यावरण और धरती की रक्षा के लिए काम काम रहे हैं। उनके द्वारा चलाए जा रहे अभियानों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने इसकी शुरुआत कोयंबटूर स्थित ईशा योग केंद्र से शुरू की थी। उन्होंने स्वयंसेवकों को वेल्लियांगिरी के पहाड़ों पर 6 मिलियन पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया था। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से इन पहाड़ों को नंगा कर दिया गया था।

तमिलनाडु के बढ़ते मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए सद्गुरु ने 2004 में प्रोजेक्ट ग्रीन हैंड्स लॉन्च किया था। इसमें 25 मिलियन पौधे लगाए गए थे। इसे 2010 में भारत का सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार, इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार मिला था।

सद्गुरु ने 2017 में शुरू किया था रैली फोर रिवर्स अभियान
2017 में सद्गुरु ने रैली फोर रिवर्स अभियान शुरू किया था। यह 16 राज्यों में एक महीने तक चला था। रैली ने सूख चुकी नदियों को सुर्खियों में ला दिया था। इस अभियान को 12.2 करोड़ लोगों का समर्थन मिला था, जिसके चलते भारत सरकार ने नदियों के पुनरोद्धार के लिए नीति बनाई और इसपर 19,000 करोड़ रुपए खर्च करना तय किया। इसमें 13 प्रमुख भारतीय नदियों का कायाकल्प करने के प्रोजेक्ट्स थे।

इसके बाद सद्गुरु ने कावेरी कॉलिंग अभियान चलाया था। इसमें किसानों को पेड़ आधारित कृषि मॉडल अपनाने के लिए प्रत्साहित किया गया, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ी। कावेरी 12 महीने बहने वाली नदी थी, लेकिन बेसिन के 70 फीसदी पेड़ों की कटाई से गर्मियों में नदी सूख जाती थी। इसका पानी समुद्र तक नहीं पहुंच पाता था। कावेरी कॉलिंग अभियान से कावेरी नदी के बेसिन में करोड़ों पेड़ लगाए गए और नदी फिर अपने पुराने रूप में लौट पाई। यह आंदोलन 12 साल चला। इसमें कावेरी नदी बेसिन में 52 लाख किसानों ने हिस्सा लिया।

2022 में सद्गुरु ने सेव सॉइल अभियान शुरू किया था। सद्गुरु ने 100 दिन में 30,000 किलोमीटर की बाइक यात्रा की थी। यह अभियान 3.91 अरब लोगों तक पहुंचा। सेव सॉइल अभियान के तहत 10 भारतीय राज्यों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर साइन किए गए। 81 देश मिट्टी बचाने की दिशा में काम करने के लिए आगे आए।

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