सद्गुरु ने ईरान में चल रहे हिजाब विरोधी प्रदर्शन पर कहा है कि महिलाओं को तय करने देना चाहिए कि वे किस तरह के कपड़े पहनना चाहती हैं। महिलाओं को कैसे कपड़े पहनने चाहिए यह तय न तो किसी धार्मिक व्यक्ति को करना चाहिए और न ही किसी भ्रष्टाचरण वाले व्यक्ति को।
नई दिल्ली। 16 सितंबर को पुलिस हिरासत में 22 साल की महसा अमिनी (Mahasa Amini) की मौत के बाद से ईरान (Iran Hijab Row) की महिलाएं आक्रोशित हैं। महिलाएं हिजाब और कट्टरपंथी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहीं हैं। वे हिजाब को आग लगाकर अपने गुस्से का इजहार कर रहीं हैं।
आध्यात्मिक नेता और धर्मगुरु सद्गुरु ने ईरान की महिलाओं द्वारा हिजाब के खिलाफ किए जा रहे विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि महिलाओं को तय करने देना चाहिए कि वे किस तरह के कपड़े पहनना चाहती हैं। अपने ट्वीट में सद्गुरु ने कहा कि महिलाओं को कैसे कपड़े पहनने चाहिए यह तय न तो किसी धार्मिक व्यक्ति को करना चाहिए और न ही किसी भ्रष्टाचरण वाले व्यक्ति को। महिलाओं को तय करने दें कि वे कैसे कपड़े पहनना चाहती हैं। किसी को इस बात के लिए सजा दी जाए कि उसने क्या पहना है, इस संस्कृति को समाप्त किया जाना चाहिए। चाहे यह धार्मिक परंपरा हो या कुछ और।
पुलिस हिरासत में हुई थी महसा अमिनी की मौत
गौरतलब है कि 16 सितंबर को पुलिस हिरासत में 22 साल की महसा अमिनी की मौत हो गई थी। ईरान की नैतिकता पुलिस ने हिजाब नहीं पहने होने के चलते महसा अमिनी को हिरासत में लिया था। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने महसा अमिनी के साथ धक्का-मुक्की की थी और उसे घसीटकर कार में डाला था। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था। हिरासत में महसा की मौत होने से ईरान की महिलाओं का गुस्सा भड़क गया है।
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ईरान की महिलाएं अपने बाल काटकर और हिजाब को आग लगाकर सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर रहीं हैं। महिलाएं पूरे देश में विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। वे हिजाब को सरेआम जलाते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रही हैं। विरोध-प्रदर्शन के चलते अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है।
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