काशी विश्वनाथ के 7 पुजारियों ने बेंगलुरु में सद्गुरु सन्निधि में किया शक्तिशाली सप्तऋषि आह्वानम

शिव की कृपा के लिए सप्तऋषि आवाहनम पहली बार काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों द्वारा अपने शुद्ध रूप से संरक्षित किया गया है।

Sapta Rishi Avahanam: कोयम्बटूर में स्थापित आदियोगी की 112 फीट ऊंची प्रतिमा के सामने योगेश्वर लिंग पर सप्त ऋषि आवाहनम काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों द्वारा किया गया। शिव की कृपा के लिए सप्तऋषि आवाहनम पहली बार काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों द्वारा अपने शुद्ध रूप से संरक्षित किया गया है।

काशी के सात पुजारी कर रहे आवाहनम

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केवल काशी विश्वनाथ मंदिर में अर्पित किए जाने वाले आवाहनम को, काशी के सात पुजारी, सद्गुरु के प्रति समर्पण के कारण, पिछले कुछ वर्षों से कोयंबटूर में 112 फीट के आदियोगी के सामने योगेश्वर लिंग पर शीतकालीन अयनांत पर अर्पित कर रहे हैं। इस परंपरा को जारी रखते हुए ये पुजारी सद्गुरु सन्निधि, बेंगलुरु में हाल ही में प्रतिष्ठित योगेश्वर लिंग पर आवाहनम का संचालन करेंगे। योगेश्वर लिंग 112-फुट उंचे आदियोगी के निकट सद्गुरू द्वारा प्राण प्रतिष्ठित, पांच मुख्य चक्रों का प्रकटीकरण है।

सप्त ऋषि आवाहनम को काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों ने शुद्धतम रूप में किया है संरक्षित

काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों ने सप्त ऋषि आवाहनम प्रक्रिया को उसके शुद्धतम रूप में संरक्षित रखा है। सद्गुरु ने ध्यानलिंग और लिंग भैरवी देवी जैसे शक्तिशाली ऊर्जा रूपों की प्राण प्रतिष्ठा की है। सद्गुरु ने कहा कि ये लोग नहीं जानते कि यह कैसे होता है लेकिन वे उस प्रक्रिया पर कायम रहते हैं जो उन्हें सिखाई गई है। वे इसे इस तरह से सीखते हैं। वे ऊर्जा का अंबार खड़ा कर देते हैं। यह एक तकनीक है। पैंतालीस मिनट से एक घंटे में वे इस मंदिर में जो ऊर्जा पैदा करते हैं वह अभूतपूर्व है। कहीं भी मैंने पुजारियों द्वारा संचालित ऐसा कुछ नहीं देखा है।

सद्गुरु को देख पुजारी हुए आकर्षित

सद्गुरू से पहली बार मुलाक़ात को याद करते हुए पंडित दयानन्द दुबे ने कहा कि सद्गुरू जब काशी आए तब हम सप्तऋषी आरती कर रहे थे। उन्होंने बैठ कर इस पूजा को देखा। सद्गुरू अपने आप में विश्वनाथ स्वरूप हैं। उनका आकर्षण ऐसा है कि बार बार सभी पुजारियों का ध्यान उधर जा रहा था कि ये कौन महात्मा हैं।

पंडित दयानंद दुबे ने बताया कि योगेश्वर लिंग को सप्तऋषी आवाहनम करने में वही अनुभव हुआ जो काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को करने में प्राप्त होता है। जरा सा भी पंडितों को मन में नहीं आया की हम किसी दूसरे लिंग की पूजा कर रहे हैं। सभी सप्तऋषीयों को मन में यही भाव आया कि हम काशी विश्वनाथ को पूजा कर रहे हैं।

सद्गुरु सन्निधि दुनिया भर में आध्यात्मिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करता

सद्गुरु सन्निधि दुनिया भर में आध्यात्मिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के सद्गुरु के दृष्टिकोण का एक हिस्सा है जो पूरी मानवता को आध्यात्मिकता की एक बूंद प्रदान करेगा। सद्गुरु सन्निधि एक शक्तिशाली रूप से प्रतिष्ठित स्थान है जो व्यक्ति में आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देगा। वर्तमान में सद्गुरु सन्निधि में नागा मंदिर, आदियोगी और योगेश्वर लिंग हैं। सद्गुरु सन्निधि में नाग मंदिर, आदियोगी और योगेश्वर लिंग के अलावा, एक लिंग भैरवी मंदिर और दो तीर्थकुंड या ऊर्जान्वित जल कुंड भी होंगे।

कौन-कौन मौजूद रहा...

सप्त ऋषि आवाहनम के दौरान ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु, श्री सुत्तूर मठ के जगद्गुरु शिवरथी देशिकेंद्र महास्वामीजी, श्री गविसिद्धेश्वर मठ कोप्पल के अभिनव गविसिद्धेश्वर स्वामीजी, श्री शिवशरण बसवमूर्ति मदारा चेन्नई गुरु पीठ से स्वामीजी मौजूद थे। इसके अलावा कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और कर्नाटक लोकायुक्त न्यायमूर्ति बी.एस. पाटिल, इसरो के पूर्व अध्यक्ष ए.एस. किरण कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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