
Sadu Mata Ni Pol Men Doing Garba in Saree: भारतीय संस्कृति और परंपरा में महिलाओं का साड़ी पहनना काफी अच्छा माना जाता है। हर तीज-त्योहार पर भारतीय नारियां इसे जरूर पहनती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि देश में एक ऐसा भी गांव है, जहां पुरुषों को भी साड़ी पहननी पड़ती है। खास बात ये है कि इस गांव के मर्द दो-पांच साल से नहीं, बल्कि 200 वर्षों से ऐसा करते आ रहे हैं। आखिर क्या है ये माजरा और क्यों इस गांव के पुरुष पहनते हैं साड़ी?
गुजरात में अहमदाबाद के पास स्थित साडू माता नी पोल इलाके में स्थित इस गांव में बरोट समुदाय के लोग रहते हैं। नवरात्रि पर्व के दौरान अष्टमी तिथि को गांव के सभी मर्द साडूमा ना गरबा के लिए साड़ियां पहनकर डांस करते हैं। कहा जाता है कि गांव के सभी पुरुष एक शाप से बचने के लिए इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं।
ये भी पढ़ें : मौत का नाच: 1 औरत ने शुरू किया डांस, उसके पीछे नाचते-नाचते मरने लगे लोग..पलक झपकते बिछ गईं 400 लाशें
मान्यताओं के मुताबिक, आज से करीब 200 साल पहले बरोट समुदाय की एक महिला साडूबेन को एक मुगल सरदार ने अपनी पत्नी बनाने का फैसला किया। इस पर उसने अपने ही समाज के पुरुषों से मदद की गुहार लगाई। लेकिन इन सभी मर्दों ने उसकी मदद करने से मना कर दिया, जिसके चलते साडूबेन को अपना बच्चा गंवाना पड़ा। बाद में उन्होंने गुस्से में आकर खुद को आग के हवाले कर दिया।
खुद को आग लगाने से पहले साडूबेन ने बरोट समाज के पुरुषों को शाप दिया कि उनकी आने वाली पीढ़ियां कायर पैदा होंगी। कहा जाता है कि इस शाप के असर को कम करने और पश्चाताप के लिए गांव के पुरुष साड़ी पहनकर नृत्य करते हैं। माना जाता है कि इस परंपरा को निभाकर तमाम पुरुष गांव की समृद्धि के साथ ही बच्चों की सुरक्षा के लिए देवी मां से प्रार्थना करते हैं।
ये भी पढ़ें : ये है दुनिया का सबसे गहरा बोरवेल, एक साथ समा जाएंगे 15 बुर्ज खलीफा