क्या आप जानते हैं दुनिया का सबसे गहरा गड्ढा कहां है और इसकी गहराई कितनी है? बता दें कि इस गड्ढे को खोदने में वैज्ञानिकों को कई साल लग गए लेकिन वे 12 किलोमीटर से ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाए। जानते हैं इस रहस्यमय सुपरडीप बोरहोल के बारे में।
Kola Superdeep Borehole: क्या आपने कभी सोचा है कि धरती के एक सिरे से लेकर दूसरे सिरे तक सुरंग बनाई जा सकती है। ये बात सोचने में ही असंभव लगती है। लेकिन रूस में एक ऐसी जगह है, जहां दुनिया का सबसे लंबा गड्ढा खोदने की कोशिश हो चुकी है। हालांकि, धरती के इस पार से उस पार तक होल बनाने का ये प्रयास पूरा नहीं हो पाया। बावजूद इसके इसे दुनिया का सबसे लंबा बोरहोल कहा जाता है। जानते हैं, दुनिया के इस सबसे गहरे बोरवेल के बारे में।
कब शुरू हुई दुनिया के सबसे गहरे गड्ढे की खुदाई?
दुनिया का सबसे गहरा गड्ढा रूस के मर्मान्स्क ओब्लास्ट प्रांत के पेचेंग्स्की जिले में स्थित है। इसकी खुदाई 24 मई, 1970 को शुरू हुई। इसके लिए यूरालमाश-4ई (Uralmash-4E) नाम की एक विशालकाय ड्रिलिंग मशीन का इस्तेमाल किया गया। यह तेल के कुओं की खुदाई के लिए काम में लाई जाने वाली एक मल्टीलेयर ड्रिलिंग मशीन है।
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अमेरिका का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए खोदा 12 KM का गड्ढा
रूस के वैज्ञानिकों ने अमेरिका के रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा गहरी खुदाई की कसम खाई। लगातार 9 साल तक खुदाई के बाद वैज्ञानिक 6 जून, 1979 को जैसे ही 9583 मीटर (31,440 फीट) की गहराई पर पहुंचे तो उन्होंने अमेरिका के ओक्लाहोमा के वाशिता काउंटी में बर्था रोजर्स होल द्वारा बनाए गए वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
ड्रिल मशीन का 5 किलोमीटर हिस्सा मुड़ गया
हालांकि, इसके बाद भी रूस के वैज्ञानिकों ने गड्ढा खोदना बंद नहीं किया। अक्टूबर 1982 तक कोला एसजी-3 ने जमीन की सतह से 11,662 मीटर (38,261 फीट) गहरा गड्ढा खोद लिया। 1983 तक ड्रिल मशीन 12,000 मीटर (39,000 फीट) तक पहुंच गई तो साइट पर कई वैज्ञानिकों ने खुशी के मारे एक साल के लिए ड्रिलिंग रोक दी। इसके बाद दोबारा ड्रिलिंग शुरू होने पर 27 सितंबर 1984 को 12,066 मीटर (39,587 फीट) तक खुदाई करने के बाद ड्रिल स्ट्रिंग का 5 किलोमीटर हिस्सा मुड़ गया और होल में ही रह गया।
12 किलोमीटर की गहराई पर मशीनों ने दे दिया जवाब
बहुत कोशिशों के बाद भी रूस के वैज्ञानिक 1989 तक सिर्फ 12,262 मीटर (40,230 फीट) की गहराई तक ही पहुंच पाए। वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि वो 1993 तक 15,000 मीटर (49,000 फीट) गड्ढा खोदने में सफल रहेंगे, लेकिन मशीनें अब तक पूरी तरह काम करना बंद कर चुकी थीं। इतनी गहराई में धरती का टेम्प्रेचर 180 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा पहुंच चुका था। गहराई में तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा था, जिसके चलते काम को रोकना पड़ा।
वैज्ञानिकों ने क्यों बताया 'नरक का दरवाजा'
कड़ी मशक्कत के बाद वैज्ञानिक और मशीनें जमीन की सतह से 12 किलोमीटर की गहराई पर जाने के बाद काम करना बंद कर चुकी थीं। बाद में इस गड्ढे को डोर टू हेल यानी नरक का दरवाजा नाम दिया गया। 1991 में सोवियत संघ टूट गया और दोबारा कभी इस बोरहोल को खोदने की कोशिश नहीं की गई।
15 बुर्ज खलीफा, 170 कुतुब मीनार समा जाएंगे
बता दें कि कोला सुपरडीप बोरहोल की गहराई 12.26 किलोमीटर है। इसमें दुनिया की सबसे ऊंची इमारत यानी 15 बुर्ज खलीफा बड़े आराम से समा सकते हैं। बुर्ज खलीफा की ऊंचाई 828 मीटर है। इस बोर होल की गहराई का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसमें 170 कुतुब मीनार और 41 एफिल टॉवर समा जाएंगे।
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