समलैंगिक विवाह मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'केस की लाइव स्ट्रीमिंग ने कोर्ट को घर-घर पहुंचाया, आम लोग भी मामले को कर रहे फॉलो'

समलैंगिक विवाह मामले (Same Sex Marriage Case) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मामले की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर सख्त टिप्पणी की है।

Same Sex Marriage Case. समलैंगिक विवाह मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केस की लाइव स्ट्रीमिंग की वजह से यह मामला घर-घर पहुंच गया है। इससे आम लोगों को दुख भी पहुंचा है। तकनीकी ने अब लाइव स्ट्रीमिंग को इतना आसान बना दिया है कि तुरंत ही किसी भाषा में इसे लाइव कर दिया जाता है और लोग ऐसे मामलों को फॉलो करने लगते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच कर रही सुनवाई

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सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच समलैंगिक मामले पर सुनवाई कर रही है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने मामले की आठवें दिन सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।

समलैंगिक विवाह पर वकीलों ने क्या कहा

मध्यप्रदेश की तरफ से कोर्ट की सुनवाई में शामिल हुए सीनियर वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि कोर्ट की प्रोसिडिंग की वजह से लोगों में कौतूहल बन रहा है। केस की लाइव स्ट्रीमिंग और देश भर के अलग-अलग कोने में इस मुद्दे पर हो रही डिबेट की वजह से लोग केस को फॉलो करने लगे हैं और उनकी जिज्ञासा बढ़ गई है। इस पर जस्टिस एसके कौल, एसआर भट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा ने कहा कि कोर्ट की लाइव प्रोसिडिंग की वजह से यह केस घर-घर पहुंच गया है। इससे लोगों को दुख भी पहुंचा है लेकिन हमारा मानना है कि यह काम का ही एक हिस्सा है।

कोर्ट की कार्रवाई सिर्फ अंग्रेजी में नहीं होनी चाहिए

सीनियर वकील द्विवेदी ने कहा कि कोर्ट की प्रोसिडिंग सिर्फ अंग्रेजी में नहीं होनी चाहिए क्योंकि गांव में बैठा व्यक्ति यह भाषा नहीं समझता है। इस पर सीजेआई ने कहा कि आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हम इस दिशा में भी काम कर रहे हैं। कहा कि हम कोशिश करेंगे कि जो भी याचिका दायर की जाए उसकी ट्रांस स्क्रिप्ट तकनीकी के माध्यम से दूसरी भाषाओं में भी उपलब्ध कराया जाए ताकि लोग फॉलो कर सकें।

कपित सिब्बल ने कोर्ट नें क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद को रिप्रेजेंट कर रहे सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि तकनीक ने अब यह आसान कर दिया है कि कोई भी व्यक्ति भले ही वह अंग्रेजी में बोल रहा है लेकिन उसे दूसरी भाषाओं यहां तक की जापानी में भी सुना जा सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार ने भी दूसरी भारतीय भाषाओं में सुनवाई का रास्ता बनाने की बात कही है।

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