जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद सत्यपाल मलिक के सामने थे ये 10 बड़े चैलेंज

Published : Aug 05, 2025, 03:16 PM ISTUpdated : Aug 05, 2025, 03:19 PM IST
Satya Pal Malik With Narendra Modi

सार

Satyapal Malik Death: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया। धारा 370 हटाने के ऐतिहासिक फैसले के दौरान उन्होंने कड़ी प्रशासनिक, राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया और प्रदेश में बदलाव की अगुवाई की।

Satyapal Malik Death: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक नहीं रहे। 79 की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। 50 साल से अधिक लंबे राजनीतिक करियर में सत्यपाल मलिक कई अहम पदों पर रहें। वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे तभी धारा 370 हटाया गया। यह भी संयोग है कि 5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटा और 5 अगस्त 2025 को सत्यपाल मलिक का निधन हुआ।

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में सत्यपाल मलिक ने किया इन 10 बड़ी चुनौतियों का सामना

1- सत्यपाल मलिक अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे। इसी दौरान 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर की विशेष संवैधानिक स्थिति को हटाया गया। ऐसा करने पर अशांति फैलने का जोखिम था। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बेहद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई। राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक जटिलताएं पैदा हुईं, इनसे निपटा गया।

2- सरकार ने हिंसा और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए कर्फ्यू, इंटरनेट और मोबाइल फोन सेवा बंद करने व मजबूत सुरक्षा व्यवस्था जैसे कदम उठाए। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसपर नजर रखी जा रही थी।

3- पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लिया गया। इसके कारण लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं का उल्लंघन के लिए सरकार की आलोचना हुई।

4- मलिक को हिंदू बहुल जम्मू क्षेत्र और मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी के बीच लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विभाजन को संभालना।

5- राज्य विधानमंडल के भंग होने और राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद सत्ता उनके हाथों में आ गई थी। उनके लिए संदेह और भय के बीच प्रशासन में जनता का विश्वास बनाए रखना बड़ी चुनौती थी। उन्होंने इसे बेहद अच्छी तरह संभाला।

6- धारा 370 हटाने के बाद बार-बार शटडाउन, कर्फ्यू और इंटरनेट ब्लैकआउट के कारण जम्मू-कश्मीर को गंभीर आर्थिक नुकसान हुआ। पर्यटन, व्यापार और रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हुई।

7- धारा 370 हटाने और उसके बाद की घटनाओं ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं। मलिक और प्रशासन को नागरिकों के अधिकारों और सुरक्षा के बारे में स्पष्टीकरण देना पड़ा।

8- धारा 370 हटाने के बाद घुसपैठ बढ़ने और आतंकवादी हमले होने का खतरा था। इसके लिए सुरक्षा बलों के साथ निरंतर सतर्कता और समन्वय बनाए रखना था।

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9- 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख) में बांटा गया था। इसके बाद मलिक ने संस्थागत पुनर्गठन, कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति और नए प्रशासनिक ढांचे का पर्यवेक्षण किया।

10- धारा 370 हटाने के बाद पारंपरिक और डिजिटल मीडिया पर गंभीर प्रतिबंध लगाए गए थे। ऐसे में अफवाहों को फैलने से रोकना और संकट के दौरान सटीक जानकारी देना जरूरी था। मलिक के नेतृत्व में यह काम अच्छी तरह हुआ।

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