मुंबई की एक कोर्ट का आदेश, नाबालिग को 'आजा आजा' कहना यौन उत्पीड़न, साइकिल से करता था पीछा

मुंबई के डिंडोशी की एक सत्र अदालत ने 32 साल के व्यक्ति को पॉक्सो एक्ट के प्रावधान के तहत एक लड़की को बार-बार 'आजा आजा' कहने पर यौन उत्पीड़न के केस में दोषी ठहराया है। लड़की को आरोपी की बात पर आपत्ति थी इसके बाद भी वह उसे 'आजा आजा' कहता था।

मुंबई। मुंबई के डिंडोशी की एक सत्र अदालत ने एक नाबालिग लड़की का पीछा करने और उसे बार-बार 'आजा आजा' कहने को यौन उत्पीड़न माना है। 32 साल के आरोपी को पॉक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act) के तहत दोषी पाया गया है।

सितंबर 2015 में हुई थी घटना

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घटना सितंबर 2015 की है। उस वक्त पीड़िता 15 साल की थी। वह दसवीं क्लास की छात्रा थी। कोर्ट में छात्रा ने बताया था कि जब वह पैदल अपने ट्यूशन के लिए जा रही थी तो उस आदमी  (जो उस समय लगभग बीस वर्ष का था) ने साइकिल से उसका पीछा किया और बार-बार 'आजा आजा' बोला। आरोपी ने कुछ दिनों तक लड़की का पीछा किया और उसे 'आजा, आजा' कहा। लड़की ने पहले दिन सड़क पर मौजूद लोगों से मदद लेने की कोशिश की थी। उन्होंने आरोपी का पीछा करने की कोशिश की थी लेकिन वह अपनी साइकिल से भाग गया था। उसने अपने ट्यूशन टीचर और अपने माता-पिता को इसके बारे में बताया था। लड़की को जल्द पता चला कि आरोपी बगल की इमारत में नाइट गार्ड के रूप में काम करता है। इसके बाद उसने अपनी मां को बताया। लड़की की मां ने पुलिस से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई थी।

मार्च 2016 में आरोपी को मिली थी जमानत
आरोपी को सितंबर 2015 में गिरफ्तार किया गया। मार्च 2016 में उसे जमानत मिली थी। आरोपी ने रहम की मांग की थी और कोर्ट से कहा था कि उसकी एक पत्नी और तीन साल का बच्चा है। वह गरीब है। जज ए.जे. खान ने उसे सितंबर 2015 (जब आरोपी को गिरफ्तार किया गया था) और मार्च 2016 (जब जमानत मिली थी) के बीच की विचाराधीन अवधि के दौरान की सजा सुनाई।

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