नागरिकता संशोधन कानून में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ित किये जाने की वजह से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आये हिन्दू, सिख, बौद्ध, पारसी, ईसाई और जैन समुदाय के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है
नई दिल्ली: संशोधित नागरिकता कानून को लेकर उठे विवाद में उच्चतम न्यायालय में एक नयी याचिका दायर की गयी है। इस याचिका में नागरिकता संशाोधन कानून की संवैधानिक वैधता बरकरार रखने और इसके बारे में कथित रूप से अफवाह फैलाने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई का निर्वाचन आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
नागरिकता संशोधन कानून में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ित किये जाने की वजह से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आये हिन्दू, सिख, बौद्ध, पारसी, ईसाई और जैन समुदाय के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
मुंबई निवासी ने दायर की याचिका
कानून में किये गये इन प्रावधानों के विरोध में पिछले करीब एक सप्ताह से देश के विभिन्न राज्यों में आन्दोलन हो रहा है और इस दौरान कई स्थानों पर हिंसा भी हुयी है। यह जनहित याचिका मुंबई निवासी पुनीत कौर ढांडा ने वकील विनीत ढांडा के माध्यम से दायर की है। याचिका में नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन किया गया है और न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि सभी राज्यों को सख्ती के साथ इस कानून को लागू करने का निर्देश दिया जाये।
इससे पहले, 18 दिसंबर को प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली करीब पांच दर्जन याचिकाओं पर केन्द्र को नोटिस जारी किया था। हालांकि, न्यायालय ने कानून के अमल पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।
नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती
न्यायालय ने इन याचिकाओं को आगे सुनवाई के लिये 22 जनवरी को सूचीबद्ध किया है। नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुये कांग्रेस के नेता जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की केरल इकाई सहित 59 व्यक्तियों और संगठनों ने याचिकायें दायर की हैं। इन याचिकाओं में दलील दी गयी है कि यह संशोधन पंथनिरपेक्षता और संविधान में प्रदत्त समता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
सख्त कार्रवाई का अनुरोध
इस कानून के समर्थन में दायर याचिका में पुनीत कौर ढांडा ने उन सभी राजनीतिक दलों की पहचान करके उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्वाचन आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया है जो देश में अफवाह फैला रहे हैं जिसकी वजह से हिंसा हो रही है। याचिका में इस कानून का व्यापक प्रचार-प्रसार करने का केन्द्र और राज्यों को निर्देश देने का अनुरोध करते हुये कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान की भावना और किसी भी भारतीय नागरिक के खिलाफ नहीं है।
याचिका में इस कानून के संदर्भ में गलत जानकारी देने और अफवाह फैलाने वाले समाचार पत्रों तथा मीडिया घरानों के खिलाफ भी सख्ती कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश केन्द्र को देने का अनुरोध किया गया है। याचिका के अनुसार इस तरह की गलत जानकारी और अफवाहों की वजह से दिल्ली, अहमदाबाद, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, असम और देश के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(प्रतीकात्मक फोटो)