भारतीय वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के खिलाफ बनाई क्रांतिकारी वैक्सीन, कोरोना के सभी स्ट्रेन को तहस-नहस करेगा RS2

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने नई कोविड वैक्सीन RS2 बनाने में सफलता पाई है। पशुओं पर किए गए परीक्षण से यह बात पता चली है कि यह शक्तिशाली इम्यूनिटी पैदा करने वाली कारगर वैक्सीन है।

 

Manoj Kumar | Published : Jan 11, 2024 6:30 AM IST

Covid-19 Vaccine RS2. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के खिलाफ क्रांतिकारी वैक्सीन बनाने में सफलता पाई है। RS2 नाम की यह वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन वैक्सीन की तुलना में बेहतर सुरक्षा प्रदान करने वाली है। फिलहाल पशुओं पर RS2 वैक्सीन का सफल परीक्षण किया गया है। इससे पता चलता है कि यह एंटीजन पॉवरफुल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा कर सकती है। हीट टोलरेंस एडाप्टिव वैक्सीन ने सिर्फ SARS-CoV-2 बल्कि सभी कोरोना स्ट्रेन के खिलाफ कारगर और प्रभाावी है। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह भविष्य में आने वाले कोविड वेरिएंट से भी निबटने में प्रभावी होगी। भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की यह आशाजनक वैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

भारतीय विज्ञान संस्थान ने बनाई नई वैक्सीन

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के मॉलिक्यूलर बायोफिजिक्स यूनिट के प्रोफेसर राघवन वरदराजन के नेतृत्व वाली टीम ने यह वैक्सीन तैयार करने में सफलता पाई है। RS2 नाम की यह वैक्सीन लांग टर्म इम्युनिटी पैदा करन वाली है और इस रूम ट्रंपचेचर में भी स्टोर किया जा सकता है। इनोवेटिव वैक्सीन सिंथेटिक एंटीजन है वायरस के स्पाइक प्रोटीन के दो महत्वपूर्ण घटकों एस2 सब यूनिट और रिसेप्टर बाइडिंग डोमेन (RBD)को जोड़ता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह वैक्सीन कोविड के सभी वेरियंट पर असरकारी साबित होगा और भविष्य में आने वाले वेरियंट पर भी पूरी तरह से प्रभावी होगा।

 

 

आरबीडी पॉवरफुल इम्यूनिटी क्षमता का परिचायक

रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मौजूदा समय के अधिकांश टीके एस1 सब यूनिट को टार्गेट करते हैं और एस2 सब यूनिट पर प्रभाव की संभावना कम होती है। एस2 सबयूनि ही लांग टाइम इम्यूनिटी को स्थिर बनाता है। आरबीडी को मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करने की क्षमता के लिए पहचाना जाता है। यह वैक्सीन एस2 और आरबीडी को जोड़ने वाले है, इसलिए इसकी प्रभावशीलता ज्यादा होगी। इससे पता चलता है कि आरएस2 एंटीजन का निर्माण बड़ी मात्रा में किया जा सकता है, जो बड़े पैमाने पर टीकाकरण के प्रयासों के लिए आवश्यक है।

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