शाहीन बाग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, रास्ता बंद करना ठीक नहीं; मध्यस्थता के लिए बनाई टीम

शाहीन बाग रोड खुलवाने वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की। बेंच ने कहा, लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि वे रास्ता बंद कर दें। ऐसे में कोई भी प्रदर्शन करने लगेगा।  

नई दिल्ली. शाहीन बाग रोड खुलवाने वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा, लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि वे रास्ता बंद कर दें। ऐसे में हर कोई प्रदर्शन कर रास्ता रोकने लगेगा। इस मामले में अब अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी। हालांकि, कोर्ट ने प्रदर्शन हटाने के लिए कोई निर्देश नहीं दिए। 

इससे पहले जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा, लोगों को प्रदर्शन करने की इजाजत होनी चाहिए। हम सिर्फ नागरिकता कानून की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन लोगों को विरोध करने का, प्रदर्शन करने का अधिकार होना चाहिए। नियमों के मुताबिक, प्रदर्शन करने की जगह जंतर मंतर है।

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कोर्ट ने बातचीत के लिए बनाई टीम
बेंच ने कहा, यह मामला जनजीवन को ठप करने की समस्या से जुड़ा है। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से हलफनामा देने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रांचंद्रन को प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया है। 

स्कूल बसों और एंबुलेंसों के लिए रास्ता बंद- सरकार
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों की तरफ से पेश वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि स्कूल बसों और एंबुलेंसों के लिए रास्ता खुला है। हालांकि, इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, रास्ता पूरी तरह से जाम है। हमें प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए जिम्मेदार प्रतिनिधि की जरूरत है। ये लोग शहर को बंदी नहीं बना सकते। 

'किसी सार्वजनिक जगह पर नहीं हो सकता प्रदर्शन'
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि किसी सार्वजनिक जगह पर अनिश्चितकाल के लिए प्रदर्शन नहीं हो सकता है। हालांकि सड़क खाली करवाने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। सीएए-एनआरसी के खिलाफ पिछले 2 महीने से शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन जारी है। 

15 दिसंबर से ही विरोध प्रदर्शन हो रहा है
शाहीन बाग में 15 दिसंबर से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे हैं। दिल्ली चुनाव में शाहीन बाग का मुद्दा जोरों पर था। यहां तक की गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 8 फरवरी को मतदान के दिन ईवीएम की बटन इतनी तेजी से दबाना की करंट शाहीन बाग में लगे।

क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
नागरिकता संशोधन विधेयक को 10 दिसंबर को लोकसभा ने पारित किया। इसके बाद राज्य सभा में 11 दिसंबर को पारित हुआ। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 12 दिसंबर को यह विधेयक कानून बन गया। इस कानून के मुताबिक, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता के लिए संबंधित शख्स 6 साल पहले भारत आया हो। इन देशों के छह धर्म के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता खुला। ये 6 धर्म हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी हैं।
 

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